फर्रुखाबाद–एक तरफ केंद्र सरकार और प्रदेश सरकार फर्रुखाबाद को खुले में शौच मुक्त करने में जुटा है । वहीं दूसरी तरफ जिले में महिलाये मैला ढोने की कुप्रथा को आज भी सरे समाज करने को मजबूर हो रही है ।
हिंदुस्तान को आजाद हुए 70 साल से अधिक हो जाने के बाद भी समाज में कुछ ऐसी कुप्रथाएं चल रही है जिसको देख कर आप हैरान रह जायेगे। मामला फर्रुखाबाद जनपद के नगर पंचायत शमसाबाद का है जहा आज भी महिलाये मैला ढोने बाली प्रथा को आज भी बदस्तूर जारी किये हुए है ।
आपको बताते चले की यूपी समाचार ने 24 मार्च मे भी महिलाये द्वारा मैला ढोने की प्रथा फ़र्रुखाबाद में जारी के नाम से खबर चलाई थी जिसको अभी तक प्रशासन ने सज्ञान में नहीं लिया है और प्रशासन फर्रुखाबाद को ओडीएफ करने में जुटा है । आज कस्बे में आधा दर्जन से अधिक महिलाये मैला ढोने की प्रथा को चला रही है । सरकार के द्वारा कहलाये जा रहे स्वछता अभियान पर बड़े बड़े कसीने पढने बाली महिला जिलाधिकारी भी महिलाओ को लेकर कितनी संवेदनशील है यह महिलाओ की कस्बे में चल रही कुप्रथा से साफ़ पता चलता है । शमसाबाद नगर पंचायत की बाल्मीकि समाज की तक़रीबन आधा दर्जन महिलाये कसबे में बने पुराने शौचालय को साफ़ करने के लिए घर घर जाती है और मैला एकत्रित कर कस्बे से दूर फेक कर आती है बही कस्बे में महिला के द्वारा मैला ढोने की तस्वीरें कैमरे में कैद हुई तो मैला ढो रही महिला प्रशासन के डर के आगे कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है ।
वही दबी जुबान में महिलाओं ने बताया की जब कोई काम नहीं मिल पा रहा है तो मैला ढोने के काम को कर रहे है, जिससे कुछ पैसा भी मिल जाता है और घरो से खाने के लिए रोटी भी । महिलाओ के और सामाज के इस तबके के यह हालात देख कर पता चलता है की सरकारी योजनओं को जिला प्रशासन पलीता लगाने में जुटा है ।अगर देखा जाये तो जिला प्रशासन कागजी कार्यवाही कर सरकार से वाहवाही लूटने में लगा हुआ है परन्तु जमीनी हकीकत कुछ अलग है । जब इस मामले पर जिले की सीडीओ अपुर्वा दुबे से इस मामले में बात की तो जानकारी न होने की बात कह कर टाल गयी ।
(रिपोर्ट-दिलीप कटियार , फर्रूखाबाद)