दिल्ली– राष्ट्रीय राष्ट्रवादी पार्टी के अध्यक्ष प्रताप चन्द्र नें महामहिम राष्ट्रपति को दिल्ली (Delhi ) सरकार को बर्खाश्त करने के लिए लिखे पत्र में लिखा कि देश संक्रमण काल से गुजर रहा है।
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महामारी में किसी सरकार, अधिकारी, मंत्री के लापरवाही की जगह नहीं है और न ही किसी के जीवन को संकट में डाला जा सकता है | दिल्ली सरकार ने दिल्ली की जनता के जीवन को न सिर्फ संकट में डाला बल्कि आत्मसम्मान को भी चोट पहुचाया जो संविधान के मूल अधिकार का हनन है, कारण निम्न है :
1- दिल्ली (Delhi ) प्रदेश है, कोई अन्य देश नहीं जिसमे किसी नागरिक से भेदभाव हो, परन्तु दिल्ली रहने वाले कामगारों को मजबूर किया गया दिल्ली से पलायन के लिए, इससे न सिर्फ पलायन करने वाले खतरे में हुए, बल्कि देश की तपस्या होम कोरोंटाइन को भंग किया जिसकी जिम्मेदार दिल्ली सरकार है |
2- दिल्ली (Delhi ) के नागरिकों को कोरा आश्वासन दिया गया भोजन की व्यवस्था का, जबकि मजबूर जनता को भिखारी जनता मानकर कुछ स्कूलों में भिखारी भोजन परोसकर उनके आत्मसम्मान को रौंदा, जबकि दिल्ली के तमाम इलाके में रहने वाले असंगठित वर्ग के लोगों तक कोई मदद नहीं पहुचाई गई, जबकि वोट लेने के लिए राजनितिक दलों को घर घर पर्ची-प्रचार पहुचाना आता है, ये शर्मनाक है |
3- दिल्ली सरकार के संज्ञान में होने के बावजूद निजामुद्दीन में लोगों को इकट्ठे होने दिए जिससे देश भर के नागरिकों का जीवन संकट में डाल दिया जबकि दिल्ली सर्कार नें कहा था 10 लोग इकट्ठे नहीं होंगे |
4- दिल्ली (Delhi ) में कोरोना के अलावा हजारो अन्य बिमारियों से जूझते मरीज़ हैं, परन्तु दिल्ली सरकार नें बजाये एक-दो अस्पताल को कोरोना अस्पताल बनाने के, सभी अस्पतालों में कोरोना के नाम पर OPD तो बंद ही किया है, बल्कि मौत से जूझते मरीज किडनी के, लीवर के, कैंसर के, टीबी के, हार्ट के इत्यादि जो बिना डायलासिस और वेंटिलेटर के मर सकते हैं उनके लिए सभी अस्पताल बंद कर रक्खे हैं, जिससे उन्हें कोई भी इलाज नहीं मिल पा रहा है, जो सरकार की विफलता है |