रास्ते में सास की मौत,गाड़ी वाले ने उतारा,गठरी में बांधकर ले गया लाश

इलाहाबाद– यहां बुधवार को गरीबी से जुड़ा एक रोंगटे खड़े कर देने वाला मामला सामने आया। रास्ते में दम तोड़ने वाली एक गरीब महिला के बेटी-दामाद के पास उसके शव को घर ले जाने तक के पैसे नहीं थे। जब कोई रास्ता नहीं सूझा तो उसने श्रवण कुमार की तरह डंडे में एक तरफ गठरी में लाश टांगी और दूसरी तरफ बैलेंस बनाने के लिए पत्थर-कपड़ों की गठरी। वो करीब 40 किमी तक पैदल चला।

 

इलाहाबाद के बॉर्डर से सटे रीवां जिले (मप्र) का रहने वाला नचकु करछना थाना क्षेत्र में एक ग्राम प्रधान के यहां काम करता था। पत्नी और सास (65) साथ रहते थे। सास की तबीयत खराब रहती थी, जांच के दौरान पता चला था कि उन्हें कैंसर है। इसलिए उसका बच पाना मुश्किल है। हालत ज्यादा बिगड़ने पर बुधवार सुबह बेटी-दामाद सास को लेकर अपने गांव लौटने के लिए ऑटो पकड़े। नचकु के मुताबिक, वो लोग करछना थाना क्षेत्र से कुछ दूर पर ही पहुंचे थे, तभी सास की मौत हो गई। ऑटो वाले को पता चला तो उसने दोनों को बॉडी के साथ वहीं उतार दिया। घंटों बीत गए। कोई वाहन उन्हें ले जाने को तैयार न था। जो भी तैयार होता वो 1000-2000 रुपए मांगता, जो उनके पास न थे। जब कोई रास्ता नहीं दिखा तो उसने एक डंड़े के दोनों छोरों पर दो चद्दर बांधा। एक में सास की बॉडी को रखा और दूसरी तरफ बैलेंस बनाने के लिए कपड़े-पत्थर रखे। फिर पत्नी के साथ पैदल ही गांव के लिए निकल गया।

करीब 8 घंटे पैदल चलने के बाद वो अपने गांव गोंद कटरा के नजदीक बाजार शिवराजपुर पहुंचे। वहां लोगों ने देखा तो उन्हें शक हुआ। उन्हें रोककर पूछताछ की गई तो दोनों ने पूरी कहानी बताई। इसके बाद लोगों ने चंदा इकट्ठा कर 5000 रु. दोनों को दिए। इस बीच, SDM बारा अर्पित गुप्ता और एसओ शंकरगढ़ अमित मिश्रा गुजर रहे थे। चौराहे पर भीड़ देखकर रुक गए। उन्होंने भी तत्काल 1000 रुपए निकाल कर दिया। एक एंबुलेंस बुलाई गई और उससे लाश को गांव भेजा। SDM के मुताबिक, पता चलने पर उस गरीब परिवार की मदद करा दी गई है। गांव के कोटेदार को कहा गया है कि उसे समय से अनाज उपलब्ध कराएं। बाकी के खर्च के लिए उन्हें तहशील आकर आवेदन करने को कहा गया है। ताकि उनकी शासनस्तर पर मदद कराई जा सके।

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