आपने फिल्म “गब्बर इस बैक” तो देखी होगी और उसमें वह सीन भी जरूर देखा होगा जब हॉस्पिटल में मुर्दे (patient) को सीरियस बता कर डॉक्टर पैसे कमाने का अवसर बनाते हैं। ठीक ऐसा ही गड़बड़झाला इस कोरोना काल में कई अस्पतालों में चल रहा है।
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ताजा मामला मेरठ के लोकप्रिय अस्पताल का है। जहां राजेश भाटिया नाम के कोविड मरीज (patient) के परिजनों को हॉस्पिटल इलाज़ के नाम पर ठग रहा था। मरीज के परिवार से कहा गया कि राजेश भाटिया के अंदर अब कुछ नहीं बचा वह सिर्फ वेंटिलेटर के सहारे ही सांस ले रहे हैं इसलिए आप हॉस्पिटल का बिल जमा करके अपने मरीज की डेड बॉडी ले जाइए।
डेड बॉडी के बदले थमाया 3 लाख का बिल…
परिजनों ने जब हॉस्पिटल से बिल मांगा तो उन्होंने बिल ना दिखाकर परिजनों से टोटल 3 लाख 5 हजार रुपये की डिमांड की जबकि परिजन 1 लाख 60 हजार रुपये पहले ही अस्पताल में जमा करवा चुके थे। परिजनों के अनुसार वह मरीज को लगने वाली तमाम महंगी दवाइयां भी बाहर से खरीदकर लाए थे लेकिन फिर भी उनपर सिर्फ दवाइयों के नाम का ही 1 लाख का बिल जमा करने का प्रेशर बनाया जा रहा है।
राजेश भाटिया के परिजनों ने मेरठ के जिलाधिकारी, एसडीएम और सीएमओ तक से गुहार लगाई लेकिन बावजूद उसके अस्पताल सुनने को तैयार नहीं था।
परिजनों ने सोशल मीडिया पर लगाई गुहार
जब ये मामला किसी तरह मेरठ के पत्रकारों द्वारा संचालित मेरठ कोविड सहायता ग्रुप तक पहुंचा जिसके माध्यम से पीड़ित परिवार ने सीएम योगी आदित्यनाथ और तमाम बड़े नेताओं से मदद की गुहार लगाई गई। फिर क्या था ट्विटर पर अचानक पीड़ित परिवार की मदद की गुहार के लिए रिट्वीट की लहर चल गई जिसका संज्ञान खुद केंद्रीय गृह सचिव संजीव गुप्ता ने लिया।
संजीव गुप्ता ने लगातार 3 घंटे ट्विटर पर हर बात का संज्ञान लिया और फिर मेरठ के डीएम को मदद के लिए आदेश दिए। लेकिन अस्पताल की काली करतूत यहीं नहीं थमी उन्होंने केंद्रीय गृह सचिव को जवाब दिया कि राजेश भाटिया अभी जिंदा हैं और वेंटिलेटर पर है। उनके परिजन जबरदस्ती उनको वेंटिलेटर हटाकर ले जाना चाहते हैं।
हरकत में आया स्वास्थ विभाग
देखते ही देखते स्वास्थ विभाग सहित तमाम प्रशासनिक अधिकारी हॉस्पिटल पहुंचे और उनके साथ-साथ एबीवीपी के कार्यकर्ता भी मौके पर पहुंच गए तो अस्पताल ने इनसे भी यही कहा कि मरीज (patient) वेंटिलेटर पर है…. लेकिन जब एबीवीपी कार्यकर्ता उत्तम सैनी ने कहां की अगर मरीज वेंटिलेटर पर ही है तो आप उसको मेडिकल रेफर कर दीजिए वहां हम खुद वेंटिलेटर की व्यवस्था करके अपने मरीज का इलाज करा लेंगे।
खुद को फसता देख परिजनों को सौपी बॉड़ी
इतना सुनते ही अस्पताल प्रशासन सकपका गया और 5 मिनट का टाइम मांगा। जैसे ही 5 मिनट पूरे हुए तो हॉस्पिटल प्रशासन ने राजेश भाटिया को मृत घोषित कर दिया और डेड बॉडी सौंपने की प्रक्रिया शुरू कर दी। हॉस्पिटल ने 38 हजार रुपये औऱ लेकर परिजनों को डेड बॉडी तो दे दी।
लेकिन अब सवाल यही बनता है कि क्यों यह हॉस्पिटल मुर्दों को भी इस आपदा में अवसर समझ के पैसा ऐंठने का काम कर रहे हैं आखिर कौन इस तरह के हॉस्पिटल पर लगाम लगाएगा या कब इन पर कोई सख्त कार्रवाई की जाएगी।
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(रिपोर्ट- लोकेश टंडन, मेरठ)