पौराणिक कथाओं के अनुसार दशहरा के दिन ही मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम ने लंका पति रावण का वध किया था। विजयदशमी का यह पर्व बुराई पर अच्छाई का प्रतीक माना जाता है। वहीं एक सच ये भी है कि रावण जिसे राक्षस कहा जाता है वो ब्राह्मण भी था। रावण को कई सिद्धियां प्राप्त थी। उसकी सिद्धी इतनी बड़ी थी कि उसने स्वयं काल को भी अपने कब्जे में कर लिया था। रावण भगवान शिव का परम भक्त था और उसे शिव का वरदान भी प्राप्त था। दशहरा के इस पर्व पर आइए जानते हैं रावण के जीवन से जुड़ी खास बातें जो किसी को नहीं पता हैं।
यहां रावण दहन के दिन शोक मनाते हैं:
मध्यप्रदेश के विदिशा के पास नटेरन नामक गांव में रावण दहन के दिन शोक मनाया जाता है। यहां पर बकायदा रावण की बरसी मनाई जाती है। दरअसल नटेरन में मंदोदरी का गांव था और इसलिए रावण यहां के दामाद हुए जिसके कारण यहां पर दामाद की मौत का शोक मनाया जाता है। नटेरन गांव में रावण दहन के दिन झांकी सजाई जाती है।
रावण ब्रह्मा के पोते थे:
दशानन रावण ब्रह्मा के पोते थे। ब्रह्मा ने अपने मन की शक्ति से दस पुत्रों को उत्पन्न किये थे। उन्हीं 10 पुत्रों में से एक पुत्र थे प्रजापति पुलस्त्य का पौत्र था रावण और उनके पुत्र विश्रवा का पुत्र था। इसी तरह रावण ब्रह्मा के पोते थे और ब्रह्म वंश के माने गए थे।
सगे भाई नहीं थे विभीषण-रावण:
‘घर का भेदी लंका ढाए’ ये मुहावरा तो सुना ही होगा आपने जो विभीषण के लिए कहा जाता था। रावण-विभीषण के सगे भाई नहीं थे बल्कि कुबेर के सगे भाई थे। इसीलिए उन्होंने ‘श्री राम’ को रावण को मारने का तरीका बताया था।
रावण और कुबेर भाई थे:
धर्म ग्रंथों के अनुसार रावण केडॉ सगे भाई कुम्भकर्ण और विभीषण हैं। धन के देवता कुबेर-रावण के सौतेले भाई थे। विश्रवा की दो पत्नियां थीं जिनमें से एक इडविडा थीं जो सम्राट तृणबिन्दु और एक अप्सरा की पुत्री थी और दूसरी थी राक्षस सुमाली एवं राक्षसी ताड़का की पुत्री कैकसी। कुबेर विश्रवा और इडविडा के बड़े बेटे थे जो सारे भाइयों में सबसे बड़े थे।
रावण ने लक्ष्मण को उपदेश दिए थे:
रावण शिव भक्त और परम ज्ञानी था। रावण के वध के बाद श्री राम ने लक्ष्मण को आज्ञा दिया था कि रावण के पास बैठकर जीवन का ज्ञान लें। रावण ने उन्हें राज्य,भक्ति,प्रजा और एनी चीजों के बारें में ज्ञान दिया था।
रावन संगीत का परम ज्ञानी था:
रावण को मंत्र,तंत्र से लेकर संगीत तक का अपार ज्ञान था। रावण के वीण की मधुर ध्वनी सुनकर सभी मंत्रमुग्ध हो जाते थे।
रावण ग्रहों की चाल बदल सकता था:
रावण इतना शक्तिशाली था कि अपने बेटे मेघनाद के जन्म के समय उसने अपनी सिद्धियों की ताकत से ग्रहों को वश में कर लिया था। जिससे उसके बेटे को अमर होने का वरदान मिले। सिर्फ शनि को अपने वश में करने से चुक गया था। जिससे रावण का बीटा अमर नहीं हो पाया।
रावण की पहली और अंतिम हर थी श्री राम से:
श्री राम ने रावण को पहली बार और आखिरी बार हराया था। रावण को पहले भी दो योद्धाओं ने हराया था। रावण की सिद्धियां उसे परम ज्ञानी बनाती हैं, लेकिन सिर्फ एक गलती ने रावण क जीवन का अंत कर दिया था। आज भी लोगों को ये समझना चाहिए कि एक महिला के अपमान का बदला इस महाशक्तिशाली इंसान को अपना सब कुछ खोकर देना पड़ा था और इसलिए महिलाओं का सम्मान सदैव करें।
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