लखनऊः STF ने साइबर अपराधियों के गिरोह का क‍िया पर्दाफाश, चार गिरफ्तार

लखनऊः STF ने साइबर अपराधियों के गिरोह का क‍िया पर्दाफाश, चार गिरफ्तार

लखनऊ–एसटीएफ ने गुरुवार को साइबर अपराधियों के एक गिरोह का राजफाश किया। विभूतिखंड से एसटीएफ की प्रयागराज यूनिट ने गिरोह के सरगना समेत चार लोगों को गिरफ्तार किया है।

आरोपितों के पास से स्कीमर, 27 एटीएम कार्ड व अन्य डिवाइस बरामद किए गए हैं। आरोपित कई साल से ठगी का गिरोह चला रहे थे, जो लोगों के खातों से लाखों रुपये पार कर चुके हैं। पकड़े गए सभी आरोपित प्रतापगढ़ के रहने वाले हैं। इनमें मोहनगंज बाजार, पूरे खुशई लोका का पुरवा, थाना कोतवाली नगर निवासी मोहम्मद वसीम, पतुलकी, थाना अन्तू निवासी अजीज अहमद, दुजई का पुरवा, सुखपाल नगर, थाना कोतवाली नगर निवासी आनंद बहादुर और बैसन का पुरवा, सराय आनादेव, थाना मान्धाता निवासी संजय यादव शामिल हैं।

आरोपितों के पास से एक कार, एक लैपटाप, एक कार्ड रीडर, कार्ड राइटर, पेन ड्राइव, सॉफ्टवेयर, पांच मोबाइल फोन, सादे क्लोनिंग कार्ड और सात हजार 635 रुपये बरामद किए गए हैं।एसटीएफ के मुताबिक विभूतिखंड में वेव मॉल के पास एटीएम कार्ड से ठगी करने वाले गिरोह का पता चला था। छानबीन के लिए टीम लगाई गई और आरोपितों को दबोच लिया गया। पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि वह लंबे समय से एटीएम, डेबिट कार्ड हथियाकर उसका क्लोन तैयार करते हैं। जिन एटीएम में गार्ड नहीं होते हैं, उसमें वह रुपये निकालने आए व्यक्ति के पीछे खड़े होकर एटीएम कार्ड स्कीमर से उसका कार्ड स्कैन कर लेते हैं। वहीं गिरोह का दूसरा आदमी कार्ड का पिनकोड देख लेता है।

इसके बाद स्कीमर को लैपटाप से जोड़कर एटीएम कार्ड का डाटा लैपटाप में ट्रांसफर कर दिया जाता है। ठग कार्ड रीडर को लैपटाप से जोड़कर किसी भी कार्ड को स्वैप कर उसका क्लोन तैयार कर लेते थे।लैपटाप में कार्ड का डाटा रीड करने और क्लोन बनाने के लिए जालसाज सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करते हैं। इसे वह लैपटॉप में इंस्टॉल कर के रखते हैं। ठग एक ही कार्ड पर अलग-अलग बार कई डेबिट कार्ड का क्लोन तैयार करते थे। कार्ड पर नाम असली खाता धारक का होता है, लेकिन एटीएम से रुपये क्लोन तैयार किए गए कार्ड से ही निकलते थे।

छानबीन में सामने आया है कि ठग एटीएम मशीन के कैश डिस्पेंसर में कैश निकासी को बाधित करने के लिए छेड़छाड़ करते थे। ग्राहक जब मशीन में कार्ड लगाकर और पिन दबाकर कैश निकासी प्रक्रिया शुरू करता है तो रुपये डिस्पेंसर तक निकलकर आता है। हालांकि हाथ से बनाए गए उपकरण के मशीन में फंसाए जाने के कारण रुपया बाहर नहीं आ पाता है। ग्राहक के लौट जाने पर ठग उपकरण बाहर खींच देते हैं, जिसके बाद रुपया बाहर निकल जाता है। आरोपितों के खिलाफ विभूतिखंड थाने में एफआइआर दर्ज की गई है।

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