प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत करोड़ों का घोटाला,किसान परेशान

प्रतापगढ़ — कुदरत के कहर से परेशान किसानों को बीमा कंपनियां भी धोखा दे रही हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जिले में 82,693 किसानों ने बीमा प्रीमियम के रूप में लगभग छह करोड़ रुपये का भुगतान किया, लेकिन अभी तक किसी को भी क्षतिपूर्ति की रकम नहीं मिली।

यहां पिछले एक साल का न तो रवी की फसल और न ही खरीफ का भुकतान हुआ।जबकि बैंक किसान क्रेडिट कार्ड से बीमे का प्रीमियम काटकर सीधे बीमा कम्पनियो को भुगतान कर देती है । किसान को न रसीद और न ही बांड दिया जाता है कुल मिलाकर किसान को पता ही नही चलता कि बीमा हुआ है। यह स्थित एक जिले की है अगर यही स्थिति प्रदेश और देश की हुई तो अंदाजा लगाना मुश्किल हो जाएगा कि कितना बड़ा घोटाला है।

बता दें कि किसानों को आपदाओं से राहत पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना लागू की गई है। इस योजना के तहत किसान क्रेडिट कार्ड धारक किसानों का बीमा स्वयं बैंक करके किश्त नामित संस्था को भेज देते हैं। बीते वित्तीय वर्ष में खरीफ और रबी के सीजन में बैंकों से रुपये निकालने वाले 82,693 किसानों का बीमा किया गया। इसमें खरीफ की फसल के लिए 39,372 और रबी की फसल के लिए 43,321 किसानों के नाम शामिल हैं। इन किसानों का बीमा करने को पिछले वित्तीय वर्ष से एसबीआई जनरल इंश्योरेंश को फसल का बीमा करने के लिए नामित किया गया।

लगभग छह करोड़ रुपये प्रीमियम के तौर पर भुगतान भी किया गया जिनमे अगलगी, अतिवृष्टि और ओलावृष्टि से बर्बाद हुई किसानों की फसल के लिए क्षतिपूर्ति का दावा भी किया गया, मगर अभी तक बीमा कंपनी ने एक भी किसान के  दावे का भुगतान नहीं किया है। इस योजना में ऐेसे किसानों की फसलों का बीमा होता है, जो केसीसी बनवाते हैं, या किसान स्वयं भी प्रीमियम का भुगतान कर बीमा करवा सकते हैं। बीमित किसानों को भी जानकारी नही होती कि उनकी फसल का बीमा है क्योंकि इसकी किसानों को रसीद मिलती है और न ही बांड। वहीं जानकारी के अभाव में किसान दावा भी नहीं करते हैं। जिले के अधिकांश किसान ऐसे हैं, जिन्हें उनकी फसल का बीमा होने की जानकारी नहीं होती है। फसल बर्बाद होने के बाद वह हाथ पर हाथ रखकर बैठ जाते हैं। इसका फायदा बीमा कंपनियां उठा रही हैं। 

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत खरीफ की फसल में लागत का दो प्रतिशत, रबी की फसलों में लागत का डेढ़ प्रतिशत और आलू की फसलों के लिए लागत का तीन प्रतिशत प्रीमियम के तौर पर चुकता करना होता है। किसान स्वयं भी अपनी फसल का बीमा करा सकता है या केसीसी बनवाने पर बैंक कर्मचारी स्वयं प्रीमियम काटकर भुगतान करते हैं। रबी और खरीफ में चिन्ह्ति हैं फसलें। खरीफ के सीजन में धान, ज्वार, बाजरा और अरहर, रबी के सीजन में गेहूं, चना, मटर और आलू की फसल का ही बीमा होता है। फसलें और भी हैं।

प्रतापगढ़ के लिए अधिकृत फसलों की सूची में इनका ही नाम है। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत जिले के किसानों ने लगभग छह करोड़ रुपये प्रीमियम के तौर पर अदा किए हैं। मगर अभी तक किसी भी किसान को क्षतिपूर्ति नहीं मिली है। बीमा कंपनी ने यह भी सूचना छिपाकर रखी है कि कितने किसानों ने बीमित धनराशि के लिए आवेदन किया है।

अब सवाल यह उठता है कि किसानों से बीमा करने के लिए जब प्रीमियम लिया जाता है, तो नुकसान की भरपाई क्यों नहीं की जाती है। आश्चर्य की बात तो यह है कि बीमा कंपनियों पर जिला प्रशासन का कोई दबाव नहीं रहता है। इससे वह मनमाने ढंग से दावे का निस्तारण करती हैं।

(रिपोर्ट-मनोज त्रिपाठी,प्रतापगढ़)

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