जिस स्ट्रॉबेरी (strawberries) के कुछ अतिरिक्त दानों के लिए हम लड जाते थे, वह आज वह गायों और मवेशियों के लिए चारा है। यह तस्वीर जितनी हैरान करने वाली है उससे अधिक परेशान करने वाली है उन किसानों की समस्याएं जो इसके उत्पादक हैं। दरअसल आप जो इस तस्वीर में देख रहे हैं वह सौ प्रतिशत सच है। गाय घास नहीं बल्कि स्ट्रॉबेरी (strawberries) खा रही है। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए देश में लागू लॉकडाउन में यह भी एक सच्चाई है।
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सिर पर हाथ धरे बैठे लाखों किसान
दरअसल महाराष्ट्र और केरल में स्ट्रॉबेरी (strawberries) के किसानों के लिए यह लॉकडाउन बड़े आघात के रूप में आया है। वे इन दिनों अपने इस महंगे उत्पाद को बाजारों तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं। स्ट्रॉबेरी के उत्पादक किसानों ने बताया कि कोरोना वायरस की वजह से सब चौपट हो गया है। गर्मियों में स्ट्रॉबेरी की मांग बहुत अधिक बढ़ जाया करती थी, लेकिन इस बार कोरोना ने उनकी सारी मेहनत, लागत पर पानी फेर दिया है। मांग में कमी की वजह से इलाके के लाखों किसान सिर पर हाथ धरे बैठे हैं और ऊपर वाले से प्रार्थना कर रहे हैं कि कोरोना का कहर जल्द खत्म हो।
लागत निकालना भी मुश्किल
वहीं गाय को स्ट्रॉबेरी खिला रहे किसान अनिल सालुंखे कहते हैं, ‘पर्यटक और आइसक्रीम उत्पादक स्ट्रॉबेरी के मुख्य खरीदार हैं। लेकिन अभी ना तो टूरिस्ट हैं और ना ही आइस्क्रीम बिक रही है।’ महराष्ट्र के सतारा जिले में रहने वाले किसान अनिल ने अपने दो एकड़ खेत में स्ट्रॉबेरी की खेती की थी, जिससे उन्हें करीब 8 लाख रुपये आमदनी की उम्मीद थी। लेकिन अब उन्हें 25 लाख रुपये की लागत ऊपर होने का भी भरोसा नहीं है, क्योंकि उत्पाद को शहर तक ले जा नहीं सकते हैं और फिर डिमांड भी तो नहीं है।
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