देश में कोरोना से लड़ाई में अब भारत को एक और हथियार मिल गया है. ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने 12 से 18 साल तक के बच्चों के लिए बायोलॉजिकल ई कोरोना वैक्सीन कोर्बेवैक्स को फाइनल अप्रूवल दे दिया है. कोर्बेवैक्स वैक्सीन को मांसपेशियों के जरिये शरीर में पहुंचाया जाएगा और 28 दिनों के भीतर दो खुराक लेनी होगी. इस टीके की स्टोरेज दो से आठ डिग्री सेल्सियस पर किया जाता है.
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इससे पहले 14 फरवरी को डीसीजीआई की एक्सपर्ट कमिटी ने कुछ शर्तों के साथ बायोलॉजिकल ई के कोविड-19 टीके ‘कोर्बेवैक्स’ का आपात इस्तेमाल करने की मंजूरी देने की अनुशंसा की थी. नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने कहा था कि टीकाकरण की अतिरिक्त जरूरत और इसके लिए और अधिक आबादी को शामिल करने की समीक्षा नियमित तौर पर की जाती है. डीसीजीआई ने पहले कोर्बेवैक्स को अपनी मंजूरी 28 दिसंबर को सीमित आधार पर आपात स्थिति के लिए दी थी. यह भारत में ही कोविड-19 के खिलाफ विकसित आरबीडी आधारित टीका है.
12 से 18 साल के बच्चों को लगेगा टीका
इससे पहले सूत्रों ने बताया था कि सीडीएससीओ की कोविड-19 पर विषय विशेषज्ञ समिति (एसईसी) ने आवेदन पर विचार विमर्श किया और बायोलॉजिकल ई के कोर्बेवैक्स को 12 से 18 साल से कम उम्र के समूह पर सीमित तौर पर आपात इस्तेमाल की कुछ शर्तों के साथ मंजूरी देने की अनुशंसा की थी. उन्होंने बताया था कि इस सिफारिश को अंतिम मंजूरी के लिए डीसीजीआई को भेजा गया.
9 फरवरी को डीसीजीआई को भेजे गए आवेदन में बायोलॉजिकल ई लिमिटेड के गुणवत्ता एवं नियमन मामलों के प्रमुख श्रीनिवास कोसाराजू ने कहा था कि कंपनी को कोर्बेवैक्स का पांच से 18 साल की आयु वर्ग पर दूसरे-तीसरे चरण के चिकित्सकीय परीक्षण की अनुमति पिछले साल सितंबर में मिली थी.
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