नोएडा: यूपी की नौकरशाही में नोएडा की प्रशासनिक मशीनरी की ऊंची कुर्सी (DM) पर काबिज होना अफसरशाही में फक्र का सबब रहा. यहां तैनाती में जाति-जुगाड़ के समीकरण अहम किरदार निभाते रहे हैं.
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पर जब डीएम (DM) सरीखे उच्च पद पर तैनात शख्स इस महाविपदा काल में तीन महीने की छुट्टी की मांग करे तो उस शख्स की योग्यता के संग उसे तैनाती देने वालों पर भी गंभीर सवाल उठ खड़े होते हैं. गौरतलब है, कि ये कथित जाबांज अफसर (DM) सुखदकाल में रौबदाब के साथ पद का लुत्फ उठाते दिखते थे. पत्रकारों से लेकर तमाम लोगों पर गैंगस्टर एक्ट लगाने के दौरान छाती फुलाए नजर आते थे, पर विपत्तिकाल में एकाएक निरीह बन गए लाचार हो गए, अब अपनी जगह किसी अन्य की तैनाती की मांग कर रहे हैं.
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सर्वविदित है कि यूपी में कोरोना को लेकर सबसे भयावह दशा नोएडा की ही है. जाहिर है वक्त रहते यहां कदम नहीं उठाए गए. कोताही दर कोताही से नाराज मुख्यमंत्री ने खुद वहां जाकर लापरवाह प्रशासन के पेंच कसे, फटकार लगाई तो डीएम (DM) बीएन सिंह छुट्टी की अर्जी लेकर रिरियाने लगे.
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सवाल उठता है कि क्या महाचुनौती से निपटने का जिम्मा सिर्फ मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का है? क्या अफसरान बस आनंद का रस लेने के लिए-मलाई काटने के लिए हैं? वैसे युद्ध के समय किसी सेनापति के यूं पीठ दिखाकर निकल भागने की ये दास्तान सूबे की नौकरशाही के दस्तावेजों के शर्मनाक पन्नों में शुमार होगी.