नई दिल्ली–भारत-चीन सीमा पर स्थिति के संबंध में विचार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुक्रवार को बुलाई गई सर्वदलीय बैठक में प्रमुख राजनीतिक दलों के नेताओं ने इस संवेदनशील मुद्दे पर अपने विचार रखे। डिजिटल बैठक की शुरुआत में उन 20 भारतीय सैनिकों को श्रद्धांजलि दी गई जो पिछले दिनों पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों के साथ हुई झड़प में शहीद हो गए थे।
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बैठक में सबसे पहले कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अपनी बात रखी। हिंसक झड़प में शहीद हुए सैनिकों को श्रद्धांजलि देने के बाद सोनिया गांधी ने कहा, ”मेरे विचार से यह बैठक पहले होनी चाहिए थी, जब चीन ने 5 मई को लद्दाख और अन्य जगहों पर घुसपैठ की। हमेशा की तरह पूरा देश एक चट्टान की तरह एकसाथ खड़ा होता और देश की क्षेत्रीय अखंडता को सुरक्षित रखने के लिए सरकार को पूरा समर्थन देता। ऐसा नहीं हुआ। अब जब देर से भी यह हुआ तो हम संकट के अहम पहलुओं को लेकर अंधेरे में हैं।’
सोनिया गांधी ने कहा, ”हमारे पास सरकार के लिए कुछ सवाल हैं। किस तारीख को चीन के सैनिकों ने हमारी जमीन पर लद्दाख में घुसपैठ की। सरकार को कब इसकी सूचना मिली? 5 मई को या उससे पहले? क्या सरकार को सीमा की लगातार सैटेलाइट पिक्चर्स नहीं मिलती? क्या हमारी बाहरी इंटेलिजेंस एजेंसियों ने एलएसी पर कुछ असामान्य गतिविधि की जानकारी नहीं दी? क्या मिलिट्री इंटेलिजेंस ने सरकार को घुसपैठ और बड़ी संख्या में चीनी सैनिकों के आने को लेकर अलर्ट नहीं किया था? क्या सरकार की नजर में इटेंलिजेंस फेल हुआ है?
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सोनिया गांधी ने आगे कहा, ”कांग्रेस पार्टी मानती है कि महत्वपूर्ण समय 5 मई से 6 जून के बीच चला गया। 6 जून के बाद भी राजनीतिक और कूटनीतिक स्तर पर सीधी बातचीत की कोशिश होनी चाहिए थी। हम सभी रास्तों का इस्तेमाल करने में विफल रहे इसका परिणाम हुआ कि 20 जानें गईं और दर्जनों घायल हुए।”
सोनिया गांधी ने पीएम मोदी से सभी जानकारी साझा करने की अपील करते हुए पूछा कि सरकार आगे क्या करेगी? आगे क्या रास्ता बचा है? सोनिया गांधी ने कहा, ”पूरा देश भरोसा चाहता है कि सीमा पर यथास्थिति बहाल होगी और चीन एलएसी पर पुराने स्थान पर लौटे। किसी खतरे से निपटने के लिए हम तैयारी के बारे में भी जानना चाहेंगे। मैं यह जानना चाहती हूं कि माउंटेन स्ट्राइक कॉर्प्स की अभी क्या स्थिति है, जो 2013 में मंजूर हुआ था। क्या सरकार को इस पर सर्वोच्च प्राथमिकता नहीं देनी चाहिए।”