शिमला-– हिमाचल विधानसभा चुनाव में जो नतीजे इस बार आए हैं वो लगभग संभावित ही माने जा रहे थे लेकिन एक सीट पर जिस तरह का नतीजा आया है, उससे संकेत मिलता है कि हिमाचल में अगर बीजेपी और कांग्रेस के अलावा कोई तीसरा विकल्प भी मजबूती से खड़ा हो तो जनता उसका साथ देने के लिए तैयार है। बात इन चुनावों में खासी चर्चा में रही सीट ठियोग की हो रही है।
इस सीट पर ज्यादातर वक्त कांग्रेस का ही कब्जा रहा है और इस बार भी जब तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने शिमला ग्रामीण की अपनी सीट अपने बेटे विक्रमादित्य के लिए छोड़ने का ऐलान किया तो उन्होंने ठियोग से ही खुद चुनाव लड़ने की बात कही, हालांकि बाद में वो अर्की सीट से चुनाव मैदान में उतरे लेकिन वीरभद्र सिंह ने ऐसा क्यों किया, चर्चा में दो कारण रहे। पहला की वीरभद्र के बाद प्रदेश में नंबर दो की नेता विद्या सटोक्स ने ठियोग की अपनी सीट वीरभद्र के लिए छोड़ी लेकिन उनके इस निर्णय से कांग्रेस के स्थानीय कार्यकर्ता नाराज हो गई, कार्यकर्ताओं का कहना था कि सटोक्स के अवाला अगर किसी और को यहां से चुनाव लड़ना है, तो वो स्थानीय नेता ही होना चाहिए। दूसरा कारण ठियोग सीट पर सापीएम के प्रत्याशी का बढ़ता कद चर्चा में रहा और हुआ भी यही कि ठियोग सीट से सीपीएम के उम्मीदवार राकेश सिंघा ने कांग्रेस और दो बार विधायक रहे बीजेपी के प्रत्याशी को पटखनी देते हुए जबरदस्त जीत हासिल की है।