उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने परीक्षाओं को पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से संपन्न कराने के लिए मंगलवार को उत्तर प्रदेश सार्वजनिक परीक्षा अध्यादेश-2024 (public examination ordinance) को मंजूरी दे दी। इस अध्यादेश में पेपर लीक (Paper Leak) के दोषियों के खिलाफ दो साल से लेकर आजीवन कारावास की सजा और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। पेपर लीक या अन्य कारणों से परीक्षा प्रभावित होने पर सॉल्वर गैंग से खर्च की भरपाई की जाएगी। परीक्षा में गड़बड़ी करने वाली कंपनियों और सेवा प्रदाताओं को स्थायी रूप से ब्लैक लिस्ट करने का भी प्रावधान है।
Paper Leak: उम्रकैद के साथ लगेगा 1 करोड़ के जुर्माना
वित्त एवं संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने मंगलवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में लोकभवन में हुई कैबिनेट बैठक के फैसलों की जानकारी दी। खन्ना ने बताया कि कैबिनेट के समक्ष कुल 44 प्रस्ताव रखे गए थे, जिनमें से 43 को मंजूरी दे दी गई है। स्वीकृत प्रस्तावों में सार्वजनिक परीक्षाओं में अनुचित साधनों और पेपर लीक निवारण अध्यादेश 2024 भी शामिल है। वित्त मंत्री ने बताया कि पेपर लीक को लेकर अध्यादेश के प्रस्ताव को मंत्रिपरिषद ने मंजूरी दे दी है। इसके तहत अगर कोई संस्था या उससे जुड़े लोग पकड़े जाते हैं तो उनको 2 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा और एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
अध्यादेश के तहत लोक सेवा आयोग, उत्तर प्रदेश अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड, उत्तर प्रदेश बोर्ड, विश्वविद्यालय, प्राधिकरण या निकाय या उनके द्वारा नामित संस्था को भी इसमें शामिल किया गया है। यह अध्यादेश किसी भी तरह की भर्ती परीक्षाओं, विनियमितीकरण या पदोन्नति परीक्षाओं, डिग्री-डिप्लोमा, प्रमाण पत्र या शैक्षिक प्रमाण पत्रों के लिए होने वाली प्रवेश परीक्षाओं पर भी लागू होगा। इसके तहत फर्जी प्रश्नपत्र बांटना, फर्जी रोजगार वेबसाइट बनाना आदि को दंडनीय अपराध बनाया गया है। अध्यादेश के तहत अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर दोषियों को 2 साल से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा होगी, जबकि एक करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।
Paper Leak: विधेयक के स्थान पर अध्यादेश लाने का प्रस्ताव
मंत्री खन्ना ने बताया कि अगर परीक्षा प्रभावित होती है तो उस पर पड़ने वाले आर्थिक भार को सॉल्वर गैंग से वसूलने और परीक्षा में गड़बड़ी करने वाली संस्था और सेवा प्रदाताओं को स्थायी रूप से ब्लैक लिस्ट करने का प्रावधान किया गया है। इसके तहत सभी अपराधों को संज्ञेय, गैर-जमानती और सत्र न्यायालय द्वारा विचारणीय तथा गैर-शमनीय बनाया गया है। जमानत को लेकर भी कड़े प्रावधान किए गए हैं। वर्तमान में चूंकि विधानसभा सत्र नहीं चल रहा है, इसलिए विधेयक के स्थान पर अध्यादेश लाने का प्रस्ताव किया गया है। मंत्रिपरिषद द्वारा प्रस्ताव को मंजूरी दिए जाने के बाद अध्यादेश की प्रक्रिया पूरी की जाएगी और इसके बाद इसे लागू किया जाएगा।
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