बहराइच — मुख्यमंत्री ने सिंचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता के ख़िलाफ़ जांच के आदेश दिए हैं। यह कार्रवाई सिंचाई ठेकेदार समिति के शिकायती पत्र पर की गई है। समिति पदाधिकारियों ने एसई पर ई-टेंडरिंग में अपनों को ठेका देने व निविदा प्रक्रिया में मनमाफिक शर्त थोपने का आरोप लगाया है।
इस बाबत पदाधिकारियों ने मंगलवार को बहराइच आगमन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र सौंपा था। जिस पर सीएम के विशेष कार्याधिकारी अजय कुमार सिंह ने प्रमुख सचिव सिंचाई विभाग को जांच के आदेश दिए हैं।
सिंचाई ठेकेदार समिति के महासचिव चिंताहरण पाल ने मंगलवार को सीएम योगी आदित्यनाथ को ज्ञापन सौंपकर विभाग के अधिक्षण अभियंता (एसई-सुप्रेडेंट इंजीनियर) विनोद कुमार सिंह के खिलाफ शिकायत की थी। महासचिव ने एसई विनोद कुमार पर आरोप लगाया है कि पंजीकृत ठेकेदारों को दरकिनार कर निविदा प्रक्रिया में अवांछित अहर्ताएं और मनमाफिक नियम बना दिये जाते हैं। ऐसा बड़े उद्यमियों व राज्य के बाहर के ठेकेदारों को लाभ देने के लिए किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि निविदा संख्या एक/एसई/नवम/2017-18 और निविदा संख्या दो/एसई/नवम/2017-18, ये दोनों निविदाएं 14 नवंबर को आमंत्रित की गई है।
निविदा एक मृदा संबंधी कार्य है, जिसकी अनुमानित लागत 323 लाख रुपये है। निविदा के अनुसार प्रतिभागी का ए श्रेणी का पंजीकरण अनिवार्य है। लेकिन मिट्टी जैसे साधारण कार्य के लिए ऐसी शर्त रख दी गयी है कि ए श्रेणी में पंजीकरण होने के बाद भी स्थानीय स्तर के ठेकेदार निविदा प्रक्रिया में हिस्सा नहीं ले सकते हैं। यही हाल निविदा संख्या दो का है।
ऐसे में जारी निविदाएं तत्काल प्रभाव से निरस्त करते हुए आरोपी एसई के खिलाफ जांच की मांग उठाई गई थी। महासचिव ने उत्तराखंड सरकार द्वारा अमल में लाये गए कार्यों का हवाला भी दिया है। कहना है कि उत्तराखंड सरकार ने ठेकेदारों को उनकी क्षमता से दोगुना अधिक के कार्य करने के लिए योग्य घोषित किया है। जबकि बड़े कार्यों को टुकड़ों में कराए जाने का आदेश है। इससे क्षेत्रीय युवाओ को ज्यादा से ज्यादा रोजगार मिल रहा है।
रिपोर्ट-अनुराग पाठक,बहराइच