अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन से फ्री होते ही सीएम योगी आदित्यनाथ ने बाढ़ की समस्या पर समीक्षा बैठक की.
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राहत आयुक्त की मौजूदगी में बाढ़ के हालात और इससे निपटने के उपायों पर सीएम ने जानकारी ली. राहत आयुक्त संजय गोयल ने बताया कि अफसरों को बाढ़ग्रस्त जिलों के दौरे करने के निर्देश दिये गए हैं. इसके साथ ही सिंचाई विभाग के अफसरों को नदियों के तटबंधों पर लगातार निगरानी के मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए हैं. जो इलाके पूरी तरह पानी में डूबे हैं, वहां नावों के जरिये जरूरी सामान तत्परता से पहुंचाने के भी निर्देश दिये गए हैं.
बाढ़ की समस्या को देखते हुए सीएम योगी ने 2 मंत्रियों अनिल राजभर और बलदेव सिंह औलख को बाढ़ निरीक्षण और राहत कार्यों की जिम्मेदारी दी है. प्रमुख सचिव सिंचाई टी वेंकटेश के साथ ये दोनों मंत्री बाढ़ग्रस्त जिलों का दौरा करेंगे. गोंडा, संत कबीर नगर, मऊ, देवरिया और गोरखपुर जैसे जिलों का शुक्रवार को निरीक्षण करेंगे. दौरे के बाद मंत्री और प्रमुख सचिव अपनी रिपोर्ट मुख्यमंत्री को देंगे.
17 जिलों तक पहुंची बाढ़..
प्रदेश में बाढ़ की मार गुरुवार तक 17 जिलों तक पहुंच गई है. 4 लाख से ज्यादा की आबादी इससे प्रभावित हुई है. कुल 666 गांव प्रभावित हैं, जिनमें से 446 पूरी तरह पानी में डूबे हुए हैं. इन गांवों तक राहत सामग्री पहुंचाने के लिए लगभग एक हजार नावें लगाई गई हैं.
प्रभावित 17 जिलों में कुल 219 बाढ़ शरणालय बनाये गए हैं. बाढ़ के पानी में अपनी गृहस्थी गंवा चुके लगभग 4000 लोग इनमें शरण लिए हुए हैं. सबसे ज्यादा मार मऊ की मधुबन तहसील में पड़ी है, जहां घाघरा नदी का रिंद बांध टूट जाने से 5000 परिवार प्रभावित हुए हैं.
ये हैं प्रभावित जिले-
जो 17 जिले बाढ़ की मार झेल रहे हैं वे हैं- अम्बेडकरनगर, अयोध्या, आजमगढ़, बहराइच, बलिया, बलरामपुर, बाराबंकी, बस्ती, गोण्डा, गोरखपुर, कुशीनगर, लखीमपुर खीरी, मऊ, संतकबीर नगर, सिद्धार्थनगर, महराजगंज और सीतापुर.
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