लखनऊ — उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री व बसपा सुप्रीमो मायावती ने एससी/एसटी एक्ट को लेकर चल रहे आंदोलन का सर्मथन किया है. इस दौरान मायावती ने कहा, ‘मुझे पता चला है कि कुछ लोग प्रदर्शन के दौरान हिंसा फैला रहे हैं. मैं इसकी घोर निंदा करती हूं.
हमारी पार्टी प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा की किसी घटना के पीछे नहीं है.’माया ने कहा कि हिंसा फैलाने वाले लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए. उन्होंने दावा किया कि आंदोलन के दौरान कुछ असमाजिक तत्वों को हिंसा फैलाने के लिए भेजा गया. और कुछ असमाजिक तत्वों को प्रदर्शनों के दौरान हिंसा फैलाने के लिए भेजा गया जिसका नतीजा यह हुआ कि कुछ लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचा.
गौरतलब है अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति ( अत्याचार निवारण) अधिनियम को कथित तौर पर शिथिल किए जाने के विरोध में दलित संगठनों के राष्ट्रव्यापी बंद के दौरान आज हिंसक प्रदर्शन हुए जिसमें देश में दो व्यक्ति की जान चली गई और कई अन्य घायल हो गए तथा विभिन्न राज्यों में सामान्य जनजीवन बाधित रहा.
दरअसल, 21 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम (एससी/एसटी एक्ट 1989) के तहत दर्ज मामलों में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने फैसला देते हुए कहा कि सरकारी कर्मचारियों की गिरफ्तारी सिर्फ सक्षम अथॉरिटी की इजाजत के बाद ही हो सकती है. जो लोग सरकारी कर्मचारी नहीं है, उनकी गिरफ्तारी एसएसपी की इजाजत से हो सकेगी. हालांकि, कोर्ट ने यह साफ किया गया है कि गिरफ्तारी की इजाजत लेने के लिए उसकी वजहों को रिकॉर्ड पर रखना होगा.
राजनाथ सिंह ने शांति की अपील की
केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने शांति की अपील की है. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि अनुसूचित जाति. जनजाति अधिनियम पर उच्चतम न्यायालय के फैसले में कोई पक्षकार नहीं है और वह इस फैसले के पीछे दिये गये तर्क से‘ ससम्मान’ असहमत है. सरकार ने इस मामले पर एक समग्र समीक्षा याचिका भी दायर की है.