लखनऊ–चीनी सामान ने भारतीय बाजार को इस तरीके से जकड़ रखा है कि सरकार, ग्रीन ट्रिब्यूनल और स्थानीय प्रशासन की रोक के बावजूद चीनी मांझे की तस्करी जोर-शोर पर है।
मकर संक्रांति और वसंत पंचमी पर पतंगबाजी की धूम रहेगी। पतंगबाज धारदार चाइनीज मांझे का इस्तेमाल करते हैं लेकिन यह बेहद खतरनाक हो सकता है। कई बार यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। क्षण भर में ही शरीर के अंगों को काट देता है। इसलिए शासन-प्रशासन ने चाइनीज मांझे की बिक्री पर प्रतिबंध लगा रखा है। इसके बावजूद देहात क्षेत्र में और शहर में चोरी छिपे चाइनीज मांझे की बिक्री हो रही है।
खुलेआम बाजार में धडल्ले से होर्डिंग-बैनर लगा कर इसकी बिक्री की जा रही है। ऐसी स्थिति में सरकार और प्रशासन को कोसना दुर्भाग्यपूर्ण ही होगा। यदि व्यापारी इस प्रतिबंधित मांझे का चीन से आयात ना करें और ग्राहक रुपी जनता इसकी खरीद फरोख्त ना करें तो यह अपराध अपने आप समाप्त हो जाएगा। ऐसा नहीं है कि इस मांझे की विभीषिका और दुष्परिणाम के खिलाफ जनजागरण नहीं चलाया गया है।
बावजूद इसके इसकी खरीद फरोख्त इस खतरनाक व्यवसाय को बढ़ावा दे रही है। मकर संक्रांति का पर्व कुछ दिन दूर है और पतंगबाजों ने प्रतियोगिताओं की तैयारियां कर ली है। ऐसे में स्वयंसेवी संगठनों को चाहिए कि पतंगबाजी के सामूहिक स्थलों पर जनसम्पर्क कर इस अवैध व्यवसाय को हतोत्साहित करें।