नक्सल प्रभावित इलाके में महिलाएं अपने आजीविका छिंद के पत्तों से बड़े पैमाने पर राखियों का निर्माण कर रही है। इस राखी की विशेषता यह है कि छिंद के पेड़ों के पत्तों को महिलाएं लेकर आती हैं, जिसे सूखाकर इसके पत्तों से बुनाई कर राखी तैयार की जाती है।
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इन खूबसूरत राखियां की दंतेवाड़ा के आलावा दूसरे जिलों से भी मांग बढ़ रही है। इसके लिए जिला प्रशासन भी इन स्व सहायता समूह की मदद कर रहा है।
ये है खासियत
दरअसल हम बात कर रहे है छत्तीगढ़ के दंतेवाड़ा जिले की, यहां ग्राम झोड़ियाबाड़म महिलाओं को कृषि विज्ञान केंद्र की तरफ से छिंद के पत्तों से राखी बनाना सिखाया गया था। जिसके बाद पिछले वर्ष से ही इस समूह की महिलाओं ने छिंद के पत्तों से राखियां बनाना शुरू किया था।
25 से 30 हजार रुपये तक का मुनाफा कमा रही महिलाएं
अब ये महिला अपनी आजीविकी का लिए इन राखियों को बेचकर लगभग 25 से 30 हजार रुपये का मुनाफा कमा रही हैं। यही नहीं इन महिलाओं को राखी बेचने के लिए जिला प्रशासन द्वारा स्टॉल लगाने की जगह दी गई है, जिसके माध्यम से वे बाजार में अपनी राखी को ग्राहकों तक पंहुचा सके।
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