Chhath Puja 2024 : छठ पूजा के तीसरे दिन आज शाम का अर्घ्य देने के साथ ही तीसरे दिन की पूजा समाप्त हो गई है। मान्यताओं के अनुसार, छठ के तीसरे दिन डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है।
इस पूजा में मुख्य रूप से संतान की खुशी और परिवार के कल्याण के लिए सूर्य देव से आशीर्वाद प्राप्त करने की कामना की जाती है। शाम का अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाएं शाम को व्रत कथा भी सुनती हैं। कहा जाता है कि शाम का अर्घ्य देने के बाद व्रती महिलाओं को इस व्रत कथा को सुनना बहुत जरूरी माना जाता है।
नहाय-खाय से होती है छठ की शुरूआत
छठ महापर्व की शुरुआत नहाय-खाय से होती है। छठ का त्योहार मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। चौथे दिन सूर्य देव को सुबह का अर्घ्य देने के साथ ही यह व्रत समाप्त होता है। छठ पर्व में डूबते सूर्य को अर्घ्य देने का महत्व छठ पर्व में सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए उनकी पूजा की जाती है और शाम को डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। छठ पर्व प्रकृति के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का अवसर है। छठ पर्व में सूर्य को अर्घ्य देकर श्रद्धालु प्रकृति की शक्ति और महत्व को स्वीकार करते हैं।
छठ पूजा में सूर्य देव की पूजा का महत्व (छठ पूजा महत्व)
छठ पर्व में सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है। इस पर्व के माध्यम से लोग इन देवताओं से अपने परिवार की खुशहाली और अपने बच्चों की लंबी उम्र की प्रार्थना करते हैं। छठ पूजा का मुख्य उद्देश्य सूर्य देव और छठी मैया की पूजा करना है।
सूर्य को जीवन का आधार माना जाता है क्योंकि सूर्य के बिना पृथ्वी पर जीवन संभव नहीं है। सूर्य को जीवन, ऊर्जा, शक्ति और संजीवनी का प्रतीक माना जाता है। इसलिए छठ पूजा के तीसरे दिन सूर्य देव को अर्घ्य दिया जाता है और उनके आशीर्वाद से अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली की कामना की जाती है।
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