chandrayaan-3: भारत के चंद्र मिशन चंद्रयान-3 ने चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर अपनी सफल लैंडिंग के साथ इतिहास रच दिया है। इसके साथ ही भारत ऐसा करने वाला दुनिया का पहला देश बन गया है। वहीं, चंद्रमा पर सफल लैंडिंग के बाद अब चंद्रयान-3 ने अपना मिशन शुरू कर दिया है। बुधवार शाम 6:45 बजे चंद्रमा की सतह पर उतरने के कुछ घंटों बाद विक्रम लैंडर से प्रज्ञान रोवर बाहर आ गया।
गुरुवार सुबह भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एक्स पर बताया कि ‘प्रज्ञान रोवर ने चंद्रमा पर घूमना शुरू (pragyan rover on walk ) कर दिया है। भारत में तैयार होकर चंद्रमा के लिए बनाया गया प्रज्ञान रोवर सुबह चंद्रमा पर चक्कर लगाना शुरू कर दिया। बुधवार देर रात चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग के बाद लैंडर को प्रोपल्शन मॉड्यूल के जरिए इसरो के डेटा सेंटर से जोड़ा गया। लैंडिंग के बाद लैंडर ने चांद की पहली तस्वीर भी भेजी। इसके कुछ देर बाद ही प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से बाहर आ गया। अब 14 दिनों तक लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान अलग-अलग स्तरों पर चंद्रमा की सतह का पता लगाएंगे, जो भविष्य में चंद्रमा पर जीवन की खोज में महत्वपूर्ण होगा।
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प्रज्ञान रोवर के पास दो पेलोड यानी उपकरण हैं जो चंद्रमा की सतह पर मौजूद रसायनों की मात्रा और गुणवत्ता का अध्ययन करेंगे और यहां एल्यूमीनियम, सिलिकॉन, पोटेशियम, कैल्शियम, टिन और आयरन जैसे खनिजों की खोज करेंगे। वहीं, इस दौरान विक्रम लैंडर भी अपना काम शुरू करेगा जिसमें चार पेलोड लगे हुए हैं। विक्रम चंद्रमा की सतह पर सूर्य से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व और उनमें होने वाले बदलाव की जांच करेगा। साथ ही चंद्रमा की सतह पर तापमान की जांच चंद्रमा की भूकंपीय गतिविधियों के साथ उसकी गतिशीलता को समझने की कोशिश करेगी।
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