स्वास्थ्य डेस्क — एक समय था जब हम और आप कुंएं और हैंडपंपों से आने वाले पानी को यूं ही मुंह लगाकर पी लिया करते थे, लेकिन आज तो ऐसा पानी पीना आपके लिए किसी खतरे से कम नहीं. आइए आपको बताते हैं कैसे आरओ का पानी भी आपके लिए खतरनाक हो सकता है…
जानकारी के मुताबकि आपको बता दें कि कंज्यूमर एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर ने आरओ और पानी को शुद्ध करने वाले विभिन्न उपकरणों की जांच की है. इस दौरान देश के विभिन्न शहरों में आरओ का प्रयोग करने वाले और न करने वाले घरों में बीमार पड़ने वालों का अनुपात 50:50 देखा गया.
दरअसल पानी को शुद्ध करने वाले उपकरणों में खास तरह की मेंब्रेन काम करती है, जो बुरे के साथ-साथ अच्छे जीवाणुओं को भी अवशोषित कर लेती है. इससे पानी में पाए जाने वाले मिनरल, शरीर में नहीं पहुंच पाते.बता दें कि यही जीवाणु हमें पेट संबंधी बीमारियों से बचाते हैं.
अलग-अलग जगहों का पानी का टीडीएस (टोटल डिजाल्व सॉलिड) स्तर अलग-अलग होता है. इसके मानक विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने तैयार किए हैं. उसने 100 से 150 स्तर के टीडीएस को ठीक बताया है.इसलिए अगर आप अपने घर में आरओ (रिवर्स ऑसमोसिस) या यूवी सिस्टम लगवा रहे हैं तो म्युनिसिपल कॉरपोरेशन से पानी की जांच करा लीजिए. अगर टीडीएस सामान्य से अधिक हो, तभी आरओ या यूवी लगवाना चाहिए.
अगर आपको लगता है कि आप जो मिनरल वॉटर या सप्लाई किए हुए पानी को पी रहे हैं और वह पूरी तरह से शुद्ध है तो आप गलत हैं, इसमें भी शरीर को नुकसान पहुंचाने वाले जीवाणु गायर्डिया (Giardia) पाया जाता है.दरअसल, पानी को साफ करने वाली कंपनियां नदियों, नालों, भूमिगत स्रोतों, आदि जगह से पानी लेकर उसे साफ करने के लिए उसमें कोएगुलेंट (coagulants) केमिकल डालती हैं। यह केमिकल पानी में मौजूद गंदगी को पानी के तल पर पहुंचा देता है.जिससे साफ पानी ऊपर आ जाता है.