लखनऊ–लखनऊ शहर में पुस्तक मेला शुरू हो गया है। इस बार राजधानी में आयोजित बुक फेयर में Book in the Art form थीम के नाम से एग्जिबिशन लगाई गई है ।
प्रदर्शनी के क्यूरेटर भूपेंद्र अस्थाना का दावा है कि किताबों पर कला प्रदर्शनी का आयोजन यूपी में पहली बार हो रहा है। इसमें किताबों से बनी कलाकृतियों को इंस्टॉलेशन आर्ट के रूप में प्रदर्शित किया गया है। इस एग्जिबिशन में 13 अलग-अलग रचनाकारों की कलाकृतियां हैं जो देश भर के अलग-अलग हिस्से से आए हैं।किताब पर इंस्टॉलेशन वर्क के जरिए प्रकृति की अहमियत बताई गई है और लोगों को सेव नेचर और सेव ग्रीनरी के लिए जागरूक किया गया है।
हाथों में अब किताब की जगह गैजेट्स :
एक कलाकृति के जरिए कलाकार ने किताब की दशा को उकेरा है। कलाकार का कहना है कि किताबें हमारे हाथ से हटती जा रही हैं। आज उनकी जगह मोबाइल और दूसरे गैजेट्स ने ली है।
किताब है ज्ञान की कुंजी :
दूसरी कलाकृति के जरिए कलाकार ने यह बताया है कि किताब ज्ञान की कुंजी है। इसका ताला और चाबी दोनों ही पाठक के पास है।
किताबें भी हमसे बातें करती हैं:
एक अन्य कलाकृति को मुंबई के आर्टिस्ट मंगेश काले ने बनाया है। इस कलाकृति में मुख संवाद दिखाकर उन्होंने बताया कि जब हम किताबों को पढ़ते हैं तो किताब भी लेखक, पात्र और कहानी के जरिए हमसे रूबरू होती हैं।
किताब का इंस्टॉलेशन फॉर्म :
यहां किताब पर इंस्टॉलेशन वर्क किया गया है। इस प्रदर्शनी में शामिल कुछ कलाकारों को ललित कला का राष्ट्रीय अवॉर्ड भी मिल चुका है।
प्रकृति है तो सब कुछ है :
एक कलाकृति में प्रकृति और आर्टिफिशल चीजों का एक-दूसरे से संबंध दिखाया गया है। किताबें भी एक तरह प्रकृति की देन है। बुक फेयर में यह प्रदर्शनी काफी पसंद की जा रही है।