बिहार की राजधानी पटना में विधानसभा के घेराव के लिए मार्च निकाल रहे भाजपा नेताओं एवं कार्यकर्ताओं पर पुलिस ने जमकर लाठियां भांजी। बिहार पुलिस द्वारा की इस लाठीचार्ज में एक भाजपा नेता की मौत हो गई। मृतक भाजपा नेता की पहचान जहानाबाद नगर में बीजेपी के महामंत्री विजय कुमार सिंह (Vijay Kumar Singh) के रुप में हुई। वह लाठीचार्ज में घायल हुए थे। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस घटना के बाद से बिहार की राजनीति गरमा गई है।
बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बीजेपी नेता की मौत की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि पटना में बीजेपी कार्यकर्ताओं पर हुआ लाठीचार्ज (Patna Lathicharge) राज्य की नीतीश सरकार की विफलता और आक्रोश का नतीजा है। नड्डा ने आगे कहा कि बिहार की नीतीश-तेजस्वी महागठबंधन की सरकार भ्रष्टाचार के किले को बचाने के लिए लोकतंत्र पर हमला कर रही है। नड्डा ने बिना नाम लिए ट्वीट किया कि नीतीश कुमार अपने चार्जशीटेड डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव को बचाने के लिए अपनी नैतिकता तक भूल गए हैं।
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बिहार की नीतीश सरकार की आलोचना करते हुए जेपी नड्डा ने ट्वीट किया, “पटना में बीजेपी कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज राज्य सरकार की विफलता और बौखलाहट का नतीजा है. भ्रष्टाचार के गढ़ को बचाने के लिए महागठबंधन सरकार लोकतंत्र पर हमला कर रही है।” जिस व्यक्ति पर आरोप पत्र दायर किया गया है, उसे बचाने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री अपनी नैतिकता भी भूल गए हैं।” पटना में लाठीचार्ज और वॉटर कैनन के इस्तेमाल से कई बीजेपी सांसद, विधायक और अन्य नेता और कार्यकर्ता घायल हो गए हैं।
लाठीचार्ज (Patna Lathicharge) में बीजेपी नेता की मौत पर बिहार बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने कहा, ‘लाठी-गोली की गठबंधन सरकार से हम डरने वाले नहीं हैं। हर जुल्म के मुक़ाबले में संघर्ष हमारा नारा है… इसके साथ ही उन्होंने अपने ट्वीट के साथ एक वीडियो भी शेयर किया है, जिसमें साफ देखा जा सकता है कि किस तरह पुलिसकर्मी बीजेपी कार्यकर्ताओं पर लाठियां बरसा रहे हैं।
बिहार विधानसभा में आज जो देखने को मिला, जिसने पूरे बिहारवासियों को शर्मसार कर दिया। जिस तरह से बीजेपी कार्यकर्ताओं पर लाठियां भांजी गईं। उससे एक बात तो साफ होती है कि देश में लोकतंत्र खतरे में हो या ना हो, लेकिन बिहार में लोकतंत्र जरूर खतरे में आ चुका है, क्योंकि लोकतंत्र की मूल विशेषता ही सवाल पूछना है। अब अगर नीतीश बाबू को विपक्षियों द्वारा पूछे गए सवालों से इतनी ही पीड़ा है, तो वो क्यों नहीं नैतिक जिम्मेदार लेते हुए अपने पद से निवृत्त हो जाते हैं।
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