मोदी सरकार के लिए उत्तर प्रदेश का क्या महत्व है, इसे समझाने निकलेंगे तो पूरी रात चली जाएगी. संक्षेप में ये जानें कि प्रधानमंत्री सूबे से सांसद हैं, उनकी सरकार को लगातार दूसरी बार सबसे ज़्यादा सांसद यहीं से मिले हैं और सिर्फ यही एक सूबा है जहां के मुख्यमंत्री को भारतीय जनता पार्टी (BJP) प्रमोट करती नज़र आती है.
ये भी पढ़ें..ब्यूटी पार्लर से महिला बनकर प्रेमिका से मिलने पहुंचा प्रेमी, ऐसे खुला राज…
दरअसल यूपी में सियासी तापमान लगातार गर्म है. सत्ताधारी पार्टी में लगातार उच्च स्तरीय बैठकों का क्रम जारी है, जिसके कारण राजनीतिक गलियारों में सरकार और संगठन में बदलाव की खबरों की हवा है.
सीएम योगी का 6 महीने का बचा कार्यकाल
बता दें कि पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा की (BJP) नजर अब देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश पर आकर टिक गई है। उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा का चुनाव होना है। ऐसे में योगी आदित्यनाथ सरकार के लगभग 6 महीने का कार्यकाल बचा है। उसी की समीक्षा करने के लिए पार्टी नेतृत्व ने राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष को लखनऊ भेजा है।
राष्ट्रीय महामंत्री बीएल संतोष कर रहे समीक्षा
पिछले तीन दिनों में बीएल संतोष ने मंत्री, विधायक, सांसद और मीडिया पैनलिस्ट के साथ बैठक कर फीडवैक लिया है। वह पूरी बैठक की एक रिपोर्ट तैयार कर दिल्ली में पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सौंपेंगे।
लखनऊ में हुई इस बड़ी बैठक के बाद यूपी के सियासी गलियारों में चर्चाओं का बाजार गर्म हो गया है और कई मंत्रियों की छुट्टी होने की बात कही जा रही है। साथ कुछ नए चेहरों को मौका मिलने की उम्मीद है। लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या उत्तराखंड की तरह उत्तर प्रदेश में भी सीएम बदले जाएंगे? बड़ा सवाल?
संघ प्रमुख ने बुलाई बैठक
यूपी में चल रही सियासी उलटफेर की खबरों के बीच एक और बड़ी बैठक दिल्ली में होने जा रही है। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पांच जून को दिल्ली में भी एक अहम बैठक बुलाई है। इस बैठक में यूपी को लेकर निर्णायक मंथन होगा। बैठक में बीएल संतोष की रिपोर्ट को भी देखा जाएगा।
मोहन भागवत की बैठक के बाद यूपी में उन लोगों को झटका लग सकता है जिनके कामकाज से नेतृत्व संतुष्ठ नहीं होगा। यहां तक यूपी में मुख्यमंत्री भी बदले जाने की चर्चाएं तेज हो गई है। सोशल मीडिया पर डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को मुख्यमंत्री बनाने की बहश शुरू हो गई है।
भाजपा की नजर 2022 पर
दरअसल 2017 के विधानसभा चुनाव में केशव प्रसाद मौर्य यूपी बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष थे। उनकी अगुवाई में BJP ने चुनाव लड़ा और ऐतिहासिक जीत दर्ज की, उस वक्त भी सबको लगा था कि केशव मौर्य सीएम बनेंगे। लेकिन आखिरी समय में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने योगी आदित्यनाथ को कमान सौंप कर सबका मुंह बंद कर दिया था।
अब जब विधानसभा चुनाव में 6 महीने बचा है और BJP को लगता है अगर सत्ता में दोबारा वापसी करनी है तो पिछड़ी जातियों का वोट जरुरी है। क्योंकि समाजवादी पार्टी के पास पिछड़ी जाति का बड़ा वोट बैंक है और बीजेपी को ये मालूम है कि अगर पिछड़ों का साथ उन्हें नहीं मिला तो उनके लिए मुश्किल होगा।
केशव मौर्य को सीएम बनाने की मांग तेज
उधर सोशल मीडिया पर केशव प्रसाद मौर्य को मुख्यमंत्री बनाने को लेकर बहस छिड़ गई है। ट्टवीटर पर एक यूजर ने लिखा ‘योगी का जाना तय केशव प्रसाद मौर्य का आना तय नहीं तो 2022 में 30 भी आ गई तो बड़ी बात होगी, वैसे योगी जी इतनी आसानी से गद्दी छोड़ने वाले नहीं हैं’।
एक दूसरे यूजर लिखते हैं ‘हमको केशव मौर्य सरकार चाहिए चाहे कुछ भी करना पड़े, अब हम चुप बैठने वाले नहीं हैं। केशव प्रसाद मौर्य जिंदाबाद’
ब्राह्मणों का एक बड़ा तबका सीएम योगी से नाराज
सूत्रों की माने तो कानपुर के कुख्यात विकास दुबे के एनकाउंटर और उनके गुर्गों पर हुई ताबड़तोड़ कार्रवाई के बाद सीएम योगी के खिलाफ ब्राह्मणों का एक बड़ा तबका उनसे नाराज चल रहा है। कानपुर एनकाउंटर के बाद कई ऐसी और घटनाएं हुई जिससे योगी सरकार के खिलाफ ब्राह्मणों का गुस्सा भड़क गया था और सरकार को डैमेज कंट्रोल करना पड़ा था। लेकिन उनकी नाराजगी अभी भी बनी हुई है। ऐसे में इस बात को भी बीजेपी और संगठन के नेता नजर अंदाज नहीं कर सकते हैं।
ये भी पढ़ें..शादी के सात घंटे बाद दुल्हन ने दिया बेटे को जन्म, सुहागरात की तैयारी जुटा दूल्हा हुआ बेहोश…
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें। आप हमें ट्विटर पर भी फॉलो कर सकते हैं…)