देश में हर वर्ष 2 अक्टूबर को महात्मा गांधी जयंती मनाई जाती है। महात्मा गांधी भारतीय इतिहास में एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने देशहित के लिए अंतिम सांस तक लड़ाई लड़ी। भारत को अंग्रेजों से आजादी दिलाने में गांधी जी ने अपना पूरा जीवन लगा दिया। भारत की आजदी की लड़ाई में 1915 से महात्मा गांधी सक्रिय हुए। भारत के स्वतंत्रता आन्दोलन में गांधी जी ने भारत देश के समाज और राष्ट्र को नये सिरे से शुरू करने में लोगों की मदद की। महात्मा गांधी हिंसा पर जोर न देकर अहिंसा की नीति से लोगों को आंदोलन से जोड़ा। गांधी के विचरों ने आंदोलन में लोगों को बिना किसी भेद-भाव के एक दूसरे से जोड़े रखा। महात्मा गांधी ने सदियों से चली आ रही जाति,भाषा,पुरुष,महिलओं के बीच भेद-भाव की खाई को भर देने पर जोर दिया।
2 अक्टूबर 1869 में महात्मा गांधी का जन्म गुजरात के पोरबंदर में हुआ था। उनके पिता का नाम करमचंद गांधी था, जो ब्रिटिश राज में काठियावाड़ के दीवान थे। महज 13 साल की उम्र में महात्मा गांधी का विवाह कस्तूरबा गांधी के साथ हो गया था।
महात्मा गांधी का अफ्रीका यात्रा:
23 साल के उम्र में वकालत की पढ़ाई पूरी करने के बाद गांधी जी भारत वापस लौटे थे। लेकिन फिर उनको नौकरी के सिलसिले में दक्षिण अफ्रीका जाना पड़ गया। महात्मा गांधी दक्षिण अफ्रीका में एक सप्ताह तक रुके थे। फिर डरबन से प्रोटीरिया के जाना पड़ गया। उस यात्रा के दौरान नस्लीय भेद के कारण गांधी जी को ट्रेन से धक्के मारकर व पीटकर बहार फेक दिया गया। क्यूनी उस समय किसी भी भारतीय का प्रथम श्रेणी में यात्रा करना प्रतिबंधित था।इस घटना ने महात्मा गांधी को बुरी तरह आहत कर दिया था।
स्वतंत्रता आंदोलन में गांधी जी का योगदान:
महात्मा गांधी 1915 में दक्षिण अफ्रीका से भारत लौटे थे। उसी समय गांधी जी अपने गुरु गोपालकृष्ण गोखले के साथ इन्डियन नेशनल कांग्रेस शामिल हुए। उस समय भारत गुलामी की जंजीर में जकड़ा हुआ था। उस दौरान भारत को आजादी दिलाने के लिए स्वतंत्रता आंदोलन में किसी ऐसे व्यक्ति की जरूरत थी जो नई दिशा दे सके। उनके गुरु गोपालकृष्ण गोखले ने देश की नब्ज को समझने का सुझाव दिया। लोगों से जुड़ने के लिए गांधी जी ने पूरे भारत का भ्रमण किया। फिर उन्होंने स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर ‘असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, भारत छोड़ो आन्दोलन’,का नेतृत्व किया। गांधी जी के स्वतंत्रता आंदोलन से डरकर अंग्रेज भारत छोड़ने पर मजबूर हो गये थे।