देश के बहुचर्चित अयोध्या के बाबरी विध्वंस मामले में कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी दोषियों को बरी कर दिया गया है। राजनीतिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण मामले में सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को अपना ऐतिहासिक फैसला सुनाया।
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में अदालत का फैसला आ गया है। 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में जो हुआ उस पर सीबीआई की विशेष अदालत ने बुधवार को अपना फैसला सुनाया। अदालत ने बीजेपी नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी समेत अन्य सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया है।
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अपना फैसला पढ़ते हुए जज एसके यादव ने कहा गया कि ये घटना पूर्व नियोजित नहीं थी, संगठन के द्वारा कई बार रोकने का प्रयास किया गया।जज ने अपने शुरुआती कमेंट में कहा कि ये घटना अचानक ही हुई थी।
जज ने कहा कि वीएचपी नेता अशोक सिंघल के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं हैं। फैसले में कहा गया है कि फोटो, वीडियो, फोटोकॉपी में जिस तरह से सबूत दिए गए हैं, उनसे कुछ साबित नहीं होता है।
बता दें कि छह दिसम्बर 1992 को अयोध्या में बाबरी ढांचा विध्वंस के बाद इस मुकदमें में कई बड़े नेताओं मुरली मनोहर जोशी, लाल कृष्ण आडवाणी, कल्याण सिंह, विनय कटियार और उमा भारती का शामिल किया गया था।
49 पर दर्ज हुआ था मुकदमा
बाबरी विध्वंस मामले में 49 एफआईआर दर्ज हुई थीं। जिसमें एक एफआईआर फैजाबाद के थाना राम जन्मभूमि में एसओ प्रियवंदा नाथ शुक्ला जबकि दूसरी एफआईआर एसआई गंगा प्रसाद तिवारी ने दर्ज कराई थी। बाकी शेष 47 एफआईआर पत्रकारों व फोटोग्राफरों ने भी दर्ज करायी थीं। 5 अक्टूबर, 1993 को इस मामले में कुल 49 आरोपियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था। इसके बाद से लगातार इसकी सुनवाई हो रही थी।
वहीं अदालत ने सभी आरोपियों को फैसले के दिन अदालत में रहने को कहा है। लेकिन कई अभियुक्त आडवाणी, जोशी, नृत्यगोपाल दास स्वास्थ्य कारणों से उपस्थिति नहीं हो सकेंगे। इस मामले में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत 49 लोगों को मुल्जिम बनाया गया है।
17 दोषियों की हो चुकी है मौत
इस लम्बे मुकदमें में 49 आरोपितों के खिलाफ सीबीआई ने अपनी चार्जशीट फाइल की थी जिसमें 17 आरोपियों की तो मौत हो चुकी है। इनमें प्रमुख रूप से बाला साहेब ठाकरे, अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर, विष्णु हरि डालमिया आदि शामिल हैं।
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