उत्तर प्रदेश में कोरोना काल के बीच शिक्षक भर्ती घोटाले का मामला सामने आने बाद पूरे विभाग में गहमा-गहमी शुरु हो गई है. यूपी के प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापकों के 69 हजार पदों पर होने वाली भर्ती में सेंधमारी करने वाले गिरोह पर शिकंजा कसने के बाद..
अब उन अभ्यर्थियों की धर -पकड़ तेज हो गई है, जिन्होंने गिरोह के लोगों को पैसे देकर यह परीक्षा पास की है और उनका सेलेक्शन होना तकरीबन तय सा है. इस घोटले में अब तक पांच लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है.
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घोटले में भाजपा नेता शामिल…
बता दें कि पुलिस इस भर्ती परीक्षा के टॉपर समेत दो सफल छात्रों को जेल भेज भी चुकी है. पुलिस को अब इस बात के पुख्ता सबूत भी मिल गए हैं कि भर्ती परीक्षा का पेपर प्रयागराज से लीक किया गया था. पेपर लीक मामले में यूपी के एक कैबिनेट मंत्री के प्रतिनिधि रह चुके बीजेपी नेता का अहम रोल होने की भी बात सामने आई है. एक दूसरी परीक्षा का पेपर लीक करने के मामले में यह नेता कई महीनों तक जेल में रहने के बाद कुछ दिनों पहले ही जमानत पर रिहा हुआ है.
50 से ज़्यादा लोगों से लिए आठ से दस लाख
सूत्रों के मुताबिक़ अब तक की जांच में यह सामने आया है कि प्रयागराज में पिछले हफ्ते पकड़े गये गिरोह का नेटवर्क यूपी के कई जिलों में फैला हुआ था. गिरफ्तार लोगों ने अब तक 50 से ज़्यादा लोगों को आठ से दस लाख रूपये लेकर पास कराने की बात कबूली है.
हालांकि मामले की जांच से जुड़े पुलिस अफसरों को अंदेशा है कि पैसे देकर पास होने वाले अभ्यर्थियों की संख्या कई सौ से ज़्यादा है. पुलिस अब गिरोह के ज़रिये पास होने वाले बाकी सफल अभ्यर्थियों पर भी शिकंजा कसने और उन्हें गिरफ्तार करने की तैयारी जुट गई है.
पकड़े गए अभ्यर्थी शिक्षक बनने योग्य नहीं
यही नहीं उम्मीद जताई जा रही है कि सरकार एक से दो दिनों में इस गिरोह से जुड़े मामलों की जांच के लिए एसटीएफ या किसी दूसरी एजेंसी के नाम का एलान कर सकती है. सूत्रों के मुताबिक़ पैसे देकर पास होने वाले ज़्यादातर अभ्यर्थी शिक्षक बनने योग्य नहीं हैं।
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