लखनऊ — आम चुनाव के महासंग्राम में बसपा सुप्रीमों का नया पैंतरा सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है. दरअसल मायावती ने मंगलवार को एक प्रेस नोट जारी करके कांग्रेस के साथ किसी भी तरह के किसी चुनावी गठजोड़ को सिरे से नकार दिया है.
लखनऊ में पार्टी की तैयारियों की समीक्षा के बाद आगे की रणनीति के बावत जानकारी देते हुए मायावती ने कहा कि सपा के साथ बसपा का समझौता आपसी सम्मान और नेकनीयती के साथ किया गया है. उत्तराखंड और एमपी में भी दोनों के बीच आपसी समझ और सूझबूझ से समझौता हुआ. माया ने इशारा किया कि हरियाणा और पंजाब में स्थानीय पार्टी के साथ समझौता तय है. साथ ही दो टूक कहा कि किसी भी राज्य में कांग्रेस पार्टी के साथ किसी भी तरह का चुनावी समझौता या तालमेल नहीं किया जाएगा.
माया ने अपनी पार्टी की ताकत का इजहार करते हुए कहा कि बसपा से चुनावी गठबंधन के लिए कई पार्टियां आतुर हैं. लेकिन थोड़े से चुनावी फायदे के लिए हमें ऐसा कोई काम नहीं करना है जो बसपा के मूवमेंट के हित में न हो. उन्होने जोड़ा कि बसपा ने कड़ा संघर्ष करके न बिकने वाला समाज तैयार किया है और चुनावी स्वार्थ के चलते अपने मूवमेंट का नुकसान होते नहीं देख सकती हैं. पार्टीजनों का हौसला बढ़ाते हुए कहा कि हालात बदलने में देर नहीं लगते हैं लिहाजा पार्टी के लोगों को पूरी हिम्मत के साथ काम करने की जरूरत है.
बहरहाल, मायावती के इस फैसले से सपाई खेमे में मायूसी बढ़ी है क्योंकि अखिलेश यादव का रुख कांग्रेस को लेकर मुलायम था. उनकी लगातार कोशिश जारी थी कि विपक्षी गठबंधन में कांग्रेस को भी शामिल किया जाए. सूत्रों के मुताबिक इसके बावत प्रियंका गांधी के साथ सपाई रणऩीतिकारों की उच्च स्तरीय बातचीत के दौर जारी थे. पर अब माया की कांग्रेस को लेकर जतायी गयी नाइत्तिफाकी ने साफ कर दिया है कि कांग्रेस को लेकर महागठबंधन नहीं बन सकेगा.
ऐसा होने से विपक्षी एका का सपना संजोए सियासदानों में भले ही निराशा हो पर बीजेपी के लिए ये अच्छी खबर है क्योंकि तमाम चुनावी सर्वे महागठबंधऩ की सूरत में यूपी में बीजेपी के लिए मुश्किलों की ओर इशारा कर रहे थे. बीजेपी बनाम विपक्षी महागठबंधन की जंग अब त्रिकोणीय मुकाबले में तब्दील दिखेगी. जाहिर है अपनी चुनावी चुनौतियों की धार कम होने से बीजेपी रणनीतिकार राहत महसूस कर रहे हैं.