बड़ा खुलासाः कांग्रेस से नहीं NOTA से हारी भाजपा

न्यूज डेस्क —  पांच राज्यों के आये परिणामों में चुनाव आयोग ने चौकाने वाला खुलासा किया है। दरअसल मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव में किसी भी पार्टी को जनता ने बहुमत के आंकड़े तक तो नहीं पहुंचाया, लेकिन कांग्रेस 114 सीटों के साथ बड़ी पार्टी बनी और वह सरकार बनाने जा रही है।

मध्यप्रदेश के घमासान में कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे का मुकाबला देखने को मिला।जहां कांग्रेस को 114 सीटें, वहीं भाजपा 109 सीटों पर ही सिमट गई। इसी लिए कांग्रेस निर्दलीय, सपा और बसपा के समर्थन से सरकार बना रही है। वहीं चुनाव आयोग की माने तो भाजपा की इस हार में NOTA की बड़ी भूमिका नजर आ रही है। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक 1.4 प्रतिशत यानी 5.4 लाख मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया।

मध्यप्रदेश में कई सीटों पर मामूली अंतरों से बीजेपी को हार मिली है। इतने कम अंतर से हार को इस रूप में देखा जा रहा है कि अगर पार्टी ने बूथ मैनेजमेंट बेहतर होता तो परिणाम कुछ और होते। सबसे बड़ी बात यह सामने आई है कि कई सीटें ऐसी हैं, जहां NOTA ने ही बीजेपी का खेल बिगाड़ दिया है। इन सीटों पर कांग्रेस उम्मीदवार को जीत मिली है, लेकिन जीत के अंतर से ज्यादा वोट नोटा को मिले हैं। मध्यप्रदेश में NOTA ने 22 सीटों पर चुनाव प्रभावित किया है और बीजेपी के 4 मंत्री भी इसकी चपेट में आए।

ग्वालियर दक्षिण सीट की बात की जाए तो हार-जीत का मार्जिन 121 वोटों का रहा। इस सीट पर कांग्रेस के प्रवीण पाठक ने बीजेपी के नारायण सिंह कुशवाहा को 121 वोटों से हराया जबकि यहां पर 1,550 लोगों ने नोटा का बटन दबाया। दमोह में वित्तमंत्री जयंत मलैया महज 798 वोट से हार गए जबकि वहां पर 1,299 वोटर्स ने नोटा दबाया। इसी तरह बुरहानपुर में महिला एवं बाल कल्याण मंत्री अर्चना चिटनीस 5,120 वोटों से हार गईं जबकि 5,700 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया।

इसके अलावा मध्यप्रदेश में भैंसदेही विधानसभा में सर्वाधिक 7,706 वोट नोटा में पड़े।जबकि करीब 13 से ज्यादा विधानसभा सीटें ऐसी थीं, जहां 5,000 से ज्यादा वोट नोटा को मिले। जोबट सीट पर नोटा को 5,139 वोट पड़े जबकि दोनों दलों के प्रत्याशियों की जीत का अंतर 2,500 वोटों का रहा। बीना विधानसभा में नोटा पर 1,528 वोट गिरे जबकि जीत का अंतर 600 वोटों से कम का रहा।

Comments (0)
Add Comment