न्यूज डेस्क– बुन्देलखण्ड की सभी मौरंग खदानें शनिवार से बंद हो जाएंगी और पहली अक्तूबर को खुलेंगी। इस बार 10 फीसदी से भी कम मौरंग निकलने से चौथाई मौरंग भी डंप नहीं हो पाई है। इस वजह से बारिश में नदियों का यह लाल सोना पीले सोने के भाव बिकेगा।
अखिलेश सरकार में बड़े पैमाने पर मौरंग खनन हुआ, लेकिन सरकार बदलते ही सिंडिकेट टूट गया और खनन बंद हो गया। इसके बाद चोरी-छिपे ही अवैध खनन और मध्य प्रदेश की मौरंग के सहारे निर्माण का काम चलता रहा।
इस वजह से मौरंग डेढ़ गुना तक महंगी हो गई। इसपर अंकुश लगाने को भाजपा सरकार ने कुछ टेंडर निकाले, लेकिन 10 % से भी कम के टेंडर हो पाए हैं और 90% से ज्यादा खदानें बंद पड़ी रहीं। अकेले बांदा में चिन्हित 80 खदानों में इस साल मात्र 10 ही चलीं। इसी प्रकार 42 बालू खदानें मंजूर हुईं, पर पर्यावरण विभाग की एनओसी न मिलने से बंद रहीं।
चित्रकूट में 30 बालू खदानों का सर्वे खनिज विभाग ने किया था, लेकिन 10 में ही खनन शुरू हो पाया। ऐसे ही हालात हमीरपुर, महोबा, उरई, झांसी में भी रहे। डिमांड से कम मौरंग निकलने से डंपिंग का लाइसेंस लेने वाले भी चौथाई मौरंग ही डंप कर पाए।
डीएम ने कहा
वहीं इस बारे में जिलाधिकारी दिव्य प्रकाश गिरी का कहना है कि जिले में 41 लोगों को डंपिंग लाइसेंस दिए गए हैं। उनकी पैमाइश कर भंडारण क्षमता की जांच की जाएगी। निर्धारित दरों पर ही मौरंग और बालू बिक्री के प्रबंध किए जाएंगे।