सोनभद्र — लोकसभा चुनाव की आहट के ठीक पहले देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र का दौरा करके 100 कुम्हारो को इलेक्ट्रानिक चाक देकर उन्हें रोजगार बढ़ाने का रास्ता दिखाया है
तो वही देश के अति पिछड़े 115 जिलो में शामिल सूबे के नक्सल व आदिवासी बाहुल्य सोनभद्र जिले में बनवासी सेवा आश्रम आदिवासी महिलाओ के रोजी रोटी के लिए वरदान है।
दरअसल जिले दुद्धी कस्बे में स्थित बनवासी सेवा आश्रम के छात्रावास परिसर में इस समय के आधुनिक चरखा चलाकर 20 महिला अपने खाली समय मे चरखा से धागा निकालने का काम करने से अच्छी कमाई कर रही है। जिससे उनके घर परिवार में जरूरत की समान उपलब्ध कराने में सहयोग भी दे रही है। बनवासी सेवा आश्रम के हरि प्रसाद कहते है कि आदिवासी इलाके में महिलाओं को स्वालम्बी बनाने के लिए बनवासी सेवा आश्रम 40 वर्षो से कार्य कर रहा है ।
कभी जंगल मे लकड़ी काटा करते थे वो अब चला रहे आधुनिक चरखा…
यहां खाली समय मे महिलाये आकर सूट काटती है जिससे उनकी अच्छी आमदनी हो जाती है। वही महिलाओ का कहना है कि बनवासी सेवा आश्रम द्वारा उन्हें चरखे पर सुत कटाना सिखाया गया जिससे वह पांच से छः सौ ग्राम धागा काटती है जिससे मिलने वाले पैसे से उनके घर का खर्च चलता है। सूबे के आदिवासी बाहुल्य जिला सोनभद्र में बनवासी सेवा आश्रम आदिवासी महिलाओं को स्वालम्बी बनाने में लगा हुआ है। बनवासी सेवा आश्रम की दुद्धी शाखा में 20 आधुनिक चरखा लगा है उन्हें वह हाथ चला रहे है जो कभी जंगल मे लकड़ी काटा करते थे वो अब यहां आधुनिक चरखा चला रहे है।
खाली समय में चरखा चला कमाई कर रही महिलाएं…
चरखा चलाने वाली महिला ने बताया कि हमने यह छः माह पहले से चरखा चला रहे है और अपने घर मे खाली समय रहा करता था इसलिए चरखा चला कर कमाई भी कर लेते है और समय भी बीत जाता है। वही दस दिनों से चरखा चलना सीख रही जावर गांव निवासी प्रभावती ने बताया कि अभी सीखने का मौका मिला है अच्छा लग रहा है जैसे जैसे जानकारी होगी वैसे हम अच्छा ढंग से चरखा चला कर काम करना चाहते है। वही इन आदिवासी महिलाओं को प्रशिक्षित कर रही बन्दना मिश्रा ने बताया कि एक दिन में 3-4 सौ ग्राम तक धागा निकालते है जो उसकी मजदूरी भी समय पर मिल जाता है और नई मॉडल की चरखा में 8 टकुआ होता है जिससे जल्दी से धागा बिना जाता है और चरखा चलाने में अच्छा भी लगता है।
एक महिला दिन में करीब 500ग्राम निकालती है धागा…
बनवासी सेवा आश्रम दुद्धी में चरखा का कार्य देख रहे हरिप्रसाद ने बताया कि हम 40 वर्षो से बनवासी सेवा आश्रम में काम करते हो गया दुद्धी में 20 चरखा लगाया गया है। जिसमे 20 महिला अपनी समय से आकर चरखा चलाकर धागा बुनने का काम करती है। एक महिला एक दिन में करीब 500ग्राम निकालती है। जिसकी मजदूरी लगभग 100 रुपये होती है और कार्य कर रही महिलाओं को उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनवासी सेवा आश्रम की संस्था 12% कल्याण कोष के रूप में देती है और 10% कपड़े पर छूट देती है। इस धागा से संस्था में ही पैंट, शर्ट, साड़ी, गमछा,लुंगी सहित सिल्क की कपड़े बनते है। जिसका क्रय का सेंटर बीजपुर, बभनी, खैराही, रेनुकूट, गोबिंदपुर के अलावा कई प्रान्तों में भी आदान प्रदान होता है।
(रिपोेर्ट-रविदेव पाण्डेय,सोनभद्र)