फर्रुखाबाद–शहर के मोहल्ला अपर दुर्गा कालोनी निवासी बलराम सिंह चौहान 1980 में द्वितीय राजपूत में फतेहगढ़ से भर्ती हुए थे।उन्होंने 17 साल नौकरी करने के बाद रिटायरमेंट लेने के बाद डीएससी में नौकरी कर ली थी।वह डीएससी में लगभग 19 सालो से नौकरी कर रहे थे।
एक तारीख को ग्वालियर एयरफोर्स सेंटर पर ड्यूटी के दौरान टावर पर चढ़ रहे थे।अचानक नीचे गिर जाने से वह गम्भीर रूप से घायल हो गए।सहयोगी सैनिकों ने उनको अस्पताल में भर्ती कराया जहां पर उनकी मौत हो गई।उसके बाद घर सूचना देने के बाद सैनिक सम्मान के साथ उनके शव को उनके घर लाया गया।सैनिक की मौत की सूचना मिलते ही उसको देखने के लिए हजारो लोगो की भी एकत्र हो गई।शहीद सैनिक के साथ आये नायब सूबेदार अजयपाल सिंह,सिपाही रामचन्द्र आर ने राजपूत रेजिमेंट को सूचना दी।राजपूत रेजिमेंट के जबानों व अधिकारियों द्वारा सैनिक का पुष्प चक्र चढ़ाकर सम्मान करने के साथ राजकीय सम्मान के साथ सलामी दी गई।फिर परिजन उनके शव को लेकर पांचाल घाट गंगा तट पर पहुंचे जहां पर गार्ड ऑफ ऑनर की सलामी के साथ उनका अंतिम संस्कार किया गया है।नौकरी के दौरान उन्होंने कई मेडल हासिल किए थे।वह अपने भाइयों में तीसरे नम्बर पर थे।उनके बड़े भाई शिवराम सिंह,रामकिशन सिंह शहीद बलराम सिंह,रामप्रकाश सिंह,छोटे सिंह,है।उनकी पत्नी का नाम मिथलेश व दो बेटियां है जिसमे पूनम पत्नी अरुण सिंह भदौरिया छोटी ज्योति जो अभी पढाई कर रही है। सैनिक की मौत से शहर के मोहल्ले में शोक की लहर दौड़ रही है।
सैनिक के अंतिम दर्शन में शमशान घाट उमड़ा जनसैलाब-जिस समय सैनिक के शव के ताबूत को लेकर सैनिक गंगा घाट की तरफ जा रहे थे उस समय शव यात्रा के पीछे हजारो लोगो की भीड़ चल रही थी।जिसका कारण यह था कि शहीद सैनिक जब भी अपने घर छुट्टी पर आता था तो घर पर कम बाहर लोगो से मिलना उनके हालचाल लेना उनकी आदत में बस गया था तो शहर के लोगो का सैनिक से दिली लगाव हो गया था।जब उसके शहीद होने की जानकारी मिली तो सभी उनके घर से लेकर घाट तक पहुंचने लगे।इसी प्रकार वहां पर भीड़ बढ़ती ही चली गई।सभी की आँखों मे नमी दिखाई दे रही थी।
(रिपोर्ट – दिलीप कटियार , फर्रुखाबाद )