न्यूज डेस्क– आज प्रात: ब्रह्ममुहूर्त में बदरीनाथ धाम के कपाट आम भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिए गए। इस मौके पर मंदिर को बड़े ही खूबसूरत ढंग से फूलों से सजाया गया था। वैदिक मंत्रोच्चारण के बीच पूरे विधि विधान के साथ पूजापाठ की गई।
उत्तराखंड में गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ धाम के बाद आज सुबह 4 बजकर 15 मिनट पर श्रद्धालुओं के लिए बद्रीनाथ धाम के कपाट भी विधि-विधान के साथ खोल दिए गए हैं। परंपरा के अनुसार बदरीनाथ धाम में छह माह मानव और छह माह देव पूजा होती है। शीतकाल के दौरान देवर्षि नारद यहां भगवान नारायण की पूजा करते हैं। इस दौरान भगवान बदरी विशाल के मंदिर में सुरक्षा कर्मियों के सिवा और कोई भी नहीं रहता। 20 नवंबर 2018 को कपाट बंद कर दिए गए थे और इसके साथ ही चार धाम यात्रा पर भी विराम लग गया था।
बम भोले के जयकारों के साथ खुले केदारनाथ धाम के कपाट
हिंदू धर्म की पौराणिक कथा के अनुसार, बद्रीनाथ धाम में भगवान शिव अपने परिवार सहित निवास करते थे। एक बार विष्णुजी ऐसा एकांत स्थान खोज रहे थे जहां उनका ध्यान भंग न हो। ऐसे में उन्हें जो जगह पसंद आई वो था बद्रीनाथ, जो पहले से ही भोले शंकर का निवास था। भगवान विष्णु ने ऐसे में एक तरकीब लगाई। एक छोटे बच्चे का भेष बनाकर वो रोने-रोने लगे जिसे उनकर मां पार्वती बाहर आईं और बच्चे को चुप कराने की कोशिश की।
मां पार्वती बच्चे को लेकर घर के भीतर जाने लगीं तो भोले शंकर को भगवान विष्णु की लीला को समझने में देर न लगी। उन्होंने माता पार्वती को मना किया लेकिन वे नहीं मानीं। मां पार्वती ने बच्चे को थपकी देकर सुला दिया। जब बच्चा सो गया तो माता पार्वती घर से बाहर आईं। इसके बाद बच्चे के भेष में लीला रचा रहे श्री हरि ने दरवाजे को अन्दर से बंद कर लिया और जब भगवान शिव वापस आए तो बोले कि मुझे ध्यान के लिए ये जगह बहुत पसंद आ गई है। आप कृपा करने परिवार सहित केदारनाथ धाम प्रस्थान करिए। मैं भविष्य में अपने भक्तों को यहीं दर्शन दूंगा। तभी से बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु का लीलास्थल बना जबकि केदारनाथ भगवान शिव की भूमि बना।