न्यूज डेस्क — गुजरात का उना कांड एक बार फिर सुर्खियों में है. उना में स्वयंभू गोरक्षकों के आतंक का शिकार बने युवकों समेत 450 दलितों ने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपना लिया है.जबकि इस मौके पर भारतीय जनता पार्टी के दलित विधायक प्रदीप परमार भी मौजूद थे.
गिर सोमनाथ जिले के मोता समधियाला गांव में आयोजित एक कार्यक्रम में दलितों ने हिंदुओं के भगवान और मान्यताओं को नहीं मानने समेत 22 शपथ ली. हालांकि आधिकारिक तौर पर धर्म परिवर्तन तब तक मान्य नहीं होगा जब तक की जिला कलेक्टर से मान्यता नहीं मिल जाए.
बता दें कि इस कार्यक्रम में 1000 से अधिक दलित शामिल हुए . जुलाई , 2016 में उना में मृत गाय की खाल निकालने को लेकर स्वयंभू गोरक्षकों ने सात दलितों की पिटाई की थी. इस मामले के पीड़ितों में बालू भाई सर्विया, उनके बेटे रमेश और वश्राम के अलावा उनकी पत्नी कंवर सर्विया ने बौद्ध धर्म स्वीकार किया. बालू भाई के भतीजे अशोक सर्विया और उनके एक अन्य रिश्तेदार बेचर सर्विया ने बुद्ध पूर्णिमा के दिन हिन्दू धर्म त्याग दिया था. ये दोनों भी उन सात लोगों में शामिल थे, जिनकी खुद को गोरक्षक बताने वालों ने पिटाई की थी.
मंदिरों में प्रवेश न देने से थे नराज
बालू भाई ने बताया कि उत्पीड़न के एक अन्य पीड़ित देवजी भाई बाबरिया तबीयत ठीक नहीं होने के कारण कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके. वह पड़ोसी बेदिया गांव के रहने वाले हैं. रमेश ने कहा कि हिन्दुओं द्वारा उनकी जाति को लेकर किये गए भेदभाव के कारण उन्होंने बौद्ध धर्म स्वीकार किया.
दलितों का कहना है कि , ‘‘हमें मंदिरों में प्रवेश करने से रोका जाता है. हिन्दू हमारे खिलाफ भेदभाव करते हैं और हम जहां भी काम करते हैं, वहां हमें अपने बर्तन लेकर जाना पड़ता है. उना मामले में हमें अब तक न्याय नहीं मिला है और हमारे धर्म परिवर्तन के पीछे कहीं-न-कहीं यह भी एक कारण है.’’