खालिस्तान समर्थक और वारिस पंजाब दे के प्रमुख अमृतपाल सिंह (Amritpal) के चाचा हरजीत सिंह और गाड़ी ड्राइवर हरप्रीत सिंह ने जालंधर में पुलिस के सामने सरेंडर कर दिया। वहीं अमृतपाल सिंह अभी भी फरार है। अमृतपाल सिंह की तलाश में पंजाब पुलिस लगी हुई है। पुलिस ने उसे पकड़ने के लिए सुरक्षा बढ़ा दी है।
इस बीच पंजाब सरकार ने मोबाइल इंटरनेट और एसएमएस सेवाओं पर रोक मंगलवार दोपहर तक के लिए बढ़ा दी है। वहीं पंजाब पुलिस ने अमृतपाल सिंह के ‘वारिस पंजाब दे’ के पांच सदस्यों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लगा दिया है। एक अधिकारी ने बताया कि पंजाब पुलिस को अमृतपाल सिंह मामले में आईएसआई कनेक्शन और विदेशी फंडिंग का संदेह है।
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पुलिस अभी भी जालंधर के गांव सरी को घेरे हुए है। यहां अमृतपाल (Amritpal) का चाचा हरजीत सिंह छिपा हुआ था। रविवार रात करीब दो बजे हरजीत सिंह ने सरेंडर करने का इशारा किया। इसके बाद जिस घर मे हरजीत सिंह छिपा था उस घर को चारों तरफ से घेरकर पुलिस व पैरा मिलिट्री के जवान भीतर गए। उन्होंने हरजीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया।
पुलिस के अनुसार हरजीत सिंह हर समय अमृतपाल (Amritpal) के साथ रहता था। अमृतपाल जिस गाड़ी से भागा उसे हरजीत सिंह चला रहा था। पुलिस ने हरजीत सिंह की निशानदेही पर आज सुबह अमृतपाल की पसंदीदा चर्चित मर्सीडीज कार को बरामद कर लिया। पुलिस का कहना है कि वह इसी कार से फरार हुआ। पुलिस उस कार भी बरामद कर लिया है जिस कार से अमृतपाल भागा था। बताया जा रहा है कि अमृतपाल की कार से तलवार और बंदूक बरामद हुई है।
21 मार्च तक इंटरनेट सेवाएं बांद
उधर पंचाब में इंटरनेट और एसएमएस सेवाएं मंगलवार 21 मार्च तक बंद कर दी गए ही। दरअसल खालिस्तान समर्थक और वारिस पंजाब दे संगठन के प्रमुख अमृतपाल सिंह के खिलाफ पंजाब पुलिस की बड़ी कार्रवाई के बाद शनिवार को इंटरनेट बंद कर दी गयी थी। इंटरनेट शटडाउन को और बढ़ा दिया गया है। बता दें कि शनिवार को पहले रविवार और फिर सोमवार तक इंटरनेट सेवा बंद कर दी गयी थी। अब इंटरनेट शटडाउन की अवधि को मंगलवार तक के लिए बढ़ा दिया गया है।
गौरतलब है कि एक साल पहले दुबई से लौटा अमृतपाल खालिस्तान समर्थक है और उसके लौटने के बाद से लाल किले पर तिरंगे का अपमान करने के दोषी दीप सिद्धू का संगठन वारिस पंजाब डे संचालित हो रहा था। उसकी योजना कुछ दिनों में सिद्धू मूसेवाला की बरसी पर बड़ा कार्यक्रम करने की भी थी। इस तरह वह पंजाब में फिर से खालिस्तानी आंदोलन को हवा दे रहा था। कुछ दिनों उसके एक साथी को छुड़ाने के लिए उसके नेतृत्व में जिस तरह अजनाला पुलिस स्टेशन को घेरा गया था, उससे भी पंजाब पुलिस और सरकार की चिंता बढ़ गई थी।
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