उत्तर प्रदेश में आगामी 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियां अब जोरो पर हैं। वही केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह सूबे के दौरे पर हैं। उन्होंने वाराणसी में ‘अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए कहा कि अगर तुलसीदास ने अवधि में रामचरित मानस न लिखा होता तो रामायण आज विलुप्त हो गई होती। गृहमंत्री अमित शाह ने कहा, हमें हिंदी भाषा बोलने में किसी भी प्रकार की शर्म नहीं आनी चाहिए क्योंकि हमारी राजभाषा हमारा गौरव है। हमें अपने बच्चों से भी अपनी मातृभाषा हिंदी में ही बात करनी चाहिए।
सावरकर ने दिया हिंदी पढ़ने का सौभाग्य:
अमित शाह ने कहा कि वीर सावरकर नहीं होते, तो आज भी हम अंग्रेजी पढ़ रहे होते। उन्होंने कहा कि अंग्रेजी हम पर थोपी गई थी औरर आज हमें हिंदी के शब्दकोश को मजबूत करने के लिए काम करना होगा। अमित शाह ने कहा मैं हिंदी भाषी हूं, मैं गुजरात से आता हूं, मेरी मातृभाषा गुजराती है। दरअसल मैं गुजराती जितना ही, बल्कि उससे ज्यादा हिंदी का इस्तेमाल करता हूं।
स्वदेशी भाषा छूट गया पीछे:
केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि गाँधी जी ने आजादी के आन्दोलन को लोक आन्दोलन में परिवर्तित किया, जिसके स्वराज, स्वदेशी और स्वभाषा स्तंभ थे। उन्होंने कहा कि स्वराज तो मिल गया, लेकिन स्वदेशी और स्वभाषा पीछे छूट गया था। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने पहली बार मेक इन इंडिया और अब पहली बार स्वदेशी की बात करके, स्वदेशी को फिर से हमारा लक्ष्य बनाकर आगे बढ़ रहे हैं।
गृहमंत्री ने चुनावी तैयारियों का लिया जायजा:
उत्तर प्रदेश में आगामी विधानसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लिया। वही 300 से ज्यादा सीटें जीतने का लक्ष्य निर्धारित करते हुए पार्टी कार्यकर्ताओं को ‘बूथ जीता-चुनाव जीता’ का संकल्प दिलाया। उन्होंने कहा कि सभी 75 जिलों में 75 ऐसे कार्यकर्ता तैयार करें जो पूरे दम से बूथ मजबूत करने में अपना योगदान दें। शाह ने कहा हम भारतीय जनता पार्टी को अगले 35 सालों तक केंद्र और राज्य में सत्ता में बनाए रखने की योजना पर काम कर रहे हैं।
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