गांधीनगर — बीजेपी अध्यक्ष मित शाह को यूं ही चाणक्य नहीं कहा जाता। इसके पीछे उनकी मेहनत और हर हाल में जीतने की ललक भी है। खबर है कि पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में चुनावी परचम लहराने के मकसद से वह इन दिनों तमिल और बंगाली भाषा सीख रहे हैं। इसकी वजह यह है कि वह इन दोनों राज्यों में पार्टी के संदेश को पहुंचाने के लिए स्थानीय भाषा सीखना चाहते हैं ताकि संवाद में कोई कोर-कसर न रहे।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक अमित शाह इन दिनों पेशेवर भाषाविदों से बंगाली और तमिल सीख रहे हैं। वह बीते एक साल में बंगाली और तमिल में इतने परिपक्व हो चुके हैं कि पूरी तरह इन भाषाओं में बात कर सकते हैं।
अब वह इन भाषाओं में धाराप्रवाह बात करने का अभ्यास करने में जुटे हैं। अगले महीने गुजरात में होने वाले विधानसभा चुनाव के प्रचार के बिजी शेड्यूल में से समय निकालकर वह मणिपुर और असमिया भी सीख रहे हैं। जेल में रहने के दौरान और कोर्ट की ओर से गुजरात में एंट्री पर दो साल की रोक के दौरान अमित शाह ने हिंदी पर पकड़ बनाई थी। बहुत कम लोगों को पता होगा कि बहुभाषी होने के साथ ही अमित शाह ने शास्त्रीय संगीत की भी दीक्षा ली है। सूत्रों के मुताबिक रिलैक्स के लिए बीजेपी अध्यक्ष शास्त्रीय संगीत और योग का सहारा लेते हैं।