न्यूज़ डेस्क– अक्षय तृतीया बहुत ही शुभ तिथि मानी जाती है। बैशाख मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया को अक्षय तृतीया मनाई जाती है। 18 अप्रैल को अक्षय तृतीया पूरे देश भर में मनाई जाएगी। इस दिन शादी का भी बहुत ही शुभ मुहूर्त होता है।
अक्षय तृतीया पर कुछ चिजों का दान करने से मां लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है। अक्षय तृतीया का महाशुभ योग 18 अप्रैल को सुबह 4:47 मिनट से शुरू होकर अगले दिन सुबह 3:03 बजे तक रहेगा।
इस दिन जाप, पाठ, हवन यज्ञादि कर्म करने का फल अनन्त गुणा होता है। इस दिन किए गए सभी शुभ कर्म अक्षय हो जाते हैं। इस तिथि की गिनती युगादि तिथियों में की जाती है। इसी तिथि को नर-नारायण, भगवान परशुराम और हयग्रीव अवतार हुए थे तथा इसी दिन त्रेता युग का भी आरंभ हुआ था। इस तिथि को जहां स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है वहीं यह हर प्रकार का सुख और सौभागय देने वाली तिथि है। इसीलिए इसे सौभाग्य दिवस एवं लक्ष्मीं सिद्घि दिवस भी कहते हैं। भविष्य पुराण के अनुसार यह संपूर्ण पापों का नाश करने वाली तथा सभी भौतिक सुखों को देने वाली तिथि है। इस दिन यथाशक्ति धर्म-कर्म करें तथा ब्राह्मणों को दक्षिणा सहित दान दें। इस दिन गन्ने के रस से बने पदार्थो के साथ ही दूध, दहीं चावल तथा लड्डुओं का भोग भगवान को लगाया जाता है। जौं को सभी धान्यों का राजा माना जाता है इसलिए जौं के दान का भी विशेष महत्व है। शिव पुराण के अनुसार जो मनुष्य अक्षय तृतीया के दिन आलस्य त्यागकर कमल पुष्पों के साथ भगवान का पूजन करता है उसे संसार के सभी सुखों की प्राप्ति होती है तथा वह कीर्ती को प्राप्त करके यश का भागी बनता है।
वैसे तो किसी भी दिन किसी भी वस्तु का दान मनुष्य को अपनी सुविधा एवं सामर्थ्य के अनुसार करना चाहिए परंतु शास्त्रों के अनुसार इस दिन सत्तु और गुड़ का दान करना अति शुभफलदायक है।