कानुपर — सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के दत्तक पुत्र खजांची नाथ के जन्मदिन पर अखिलेश यादव शामिल नही हुए। खास बात ये की अखिलेश ने खजांची नाथ के गांव से महज 3 किलोमीटर दूर जनसभा को संबोधित किया लेकिन खजांची के गांव नही आये।
हालांकि अखिलेश ने खजांची के परिवार को 2 हाईटेक घर बनवाकर जन्मदिन का उपहार दिए, इस दरमियान खजांची नाथ का परिवार और गांव के लोग अखिलेश यादव की राह ताकते रहे लेकिन अखिलेश यादव नहीं आये। गौरतलब है कि अखिलेश ने खजांची नाथ का पहला जन्मदिन सैफई में मनाया था।
बता दें कि अखिलेश यादव के गोद लिए हुए दत्तक पुत्र खजांची नाथ का आज दूसरा जन्मदिन था।हालांकि अखिलेश यादव को खजांची नाथ के गांव अनंतपुर धौकल आना था ओर जन्मदिन मनाया कर परिवार को हाईटेक टेक्नोलॉजी से बने 2 मकानों की चाबियां उपहार के तौर पर देनी थी। इसके लिए सारी तैयारियां भी हो चुकी थी,ढोल तासा बज रहा था केक तैयार था। गांव के हर शख्स की नज़र अखिलेश यादव की राह तक रही थी।
पूरा गांव खुशियों से सराबोर था कि अचानक एक खबर ने खुशियों को गम में बदल दिया। अचानक लोगों को पता चला कि अखिलेश यादव खजांची के गांव से महज 3 किलोमीटर दूर सरदारपुर गांव में जनसभा करके चले गए है। हालांकि पुलिस ने खासा प्रयास किया कि खजांची नाथ को सरदारपुर गांव जनसभा स्थल पर ले जाए लेकिन खजांची का परिवार नही जाने की जिद्द पर अड़ गया।
दरअसल खजांची नाथ को लेकर ननिहाल और ददिहाल मे विवाद चल रहा है ।जबकि अखिलेश ने खजांची को एक घर ननिहाल में बनवा कर दिया है और एक घर ददिहाल में बावजूद इसके विवाद जारी है। रविवार रात जबरन
ननिहाल में रह रहे खजांची को उठा ले जाने की कोशिश की गई लेकिन मां सर्वेसा और उसके परिजनों ने देखा और खजांची को बचाया। दरअसल खजांची जहाँ रहता है अखिलेश की नज़रे इनायत उसी गांव में रहती है। ददिहाल सरदारपुर गांव में है यही वजह है कि खजांची को हर कोई अपने साथ रखना चाहता है ।
गौरतलब है कि दो साल पहले दो दिसंबर के दिन नोटबन्दी के दौरान कानपुर देहात के झींझक इलाके के बैंक की लाइन में लगे लगे सर्वेसा देवी नाम की महिला का प्रसव हुआ था जिसका नाम तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने खजांची नाथ रखा था और उस बच्चे को गोद लेने का एलान किया था ।खजांची नाथ को पूर्व की सपा सरकार ने केंद्र की बीजेपी सरकार पर ब्रम्हास्त्र की तरह इस्तेमाल किया था हर जनसभा में खजांची नाथ ही गूंजा था।
(रिपोेर्ट-संजय कुमार,कानपुर देहात)