विरोध के बाद मुर्दे को मुर्दा साबित करने के लिए डाक्टरों को करना पड़ा ईसीजी

हरदोई — उत्तर प्रदेश के हरदोई ज़िले में एक ऐसा हैरत अंगेज मामला सामने आने से हड़कम्प मच गया है। जिसमें एक युवक की सड़क दुर्घटना में मौत के बाद शव को मर्चरी में रखवाने के घंटो बाद पहुंचे परिजनों ने मृतक को जिंदा बताते हुए डॉक्टरों से मुर्दे का ईसीजी टेस्ट करवा कर मौत की पुष्टि करने की बेतुकी मांग कर डाली।

मृतक के परिजनों को डॉक्टर ने बहुत समझाने का प्रयास किया लेकिन मृतक के परिजन उसे मृत मानने को तैयार नही थे। उसके बाद डॉक्टरों को मृतक के परिजनों की इस बेतुकी मांग को पूरा करने के लिए मुर्दे का ईसीजी करने के लिए बाध्य होना पड़ा । मुर्दे के इस ईसीजी टेस्ट में डॉक्टर का अनुभव ही काम आया और मुर्दा सिर्फ मुर्दा ही निकला।

हरदोई के जिला चिकित्सालय में इमरजेंसी वार्ड में डॉक्टर स्ट्रेचर पर लेटे एक शख्स का ईसीजी करने में जुटे हुए हैं।  दरअसल स्ट्रेचर पर लेटे जिस शख्स को आप देख रहे हैं इसकी मौत कुछ घंटे पहले हो चुकी है लेकिन मुर्दे को मुर्दा साबित करने के लिए डॉक्टरों को ईसीजी करना पड़ रहा है।  दरअसल टडियावा थाना इलाके में एक मार्ग दुर्घटना में सीतापुर जिले के रामकोट थाने के बरगदिया गांव के नरवीर सिंह यादव की गंभीर रूप से घायल हो गए।  जिन्हें 108 एंबुलेंस से उपचार के लिए हरदोई अस्पताल भेजा गया था लेकिन अस्पताल लाते लाते इनकी मौत हो गयी।

अस्पताल में डॉक्टरों ने उस को मृत घोषित कर दिया और शव को मर्चरी में रखवा दिया। शव को मोर्चरी में रखवाने के करीब तीन घंटों के बाद जब मृतक के परिजनों अस्पताल पहुंचे तो उन्होंने मर्चरी में रखें शव को मुर्दा मानने से इनकार कर दिया।  परिजन शव को स्ट्रेचर पर रखकर इमरजेंसी वार्ड पहुंच गए जहां उन्होंने मुर्दे को जीवित बताकर डॉक्टरों से उसका ईसीजी करने को कहा।  इमरजेंसी रूम में तैनात डॉक्टर ने दोबारा चेक करने के बाद परिजनों को मृत होने की बात कही लेकिन मृतक के परिजन बिना ईसीजी के उसे मृत मानने को तैयार नहीं थे।

मौके पर पुलिस भी पहुंच गई लेकिन मृतक के परिजन कुछ भी सुनने को तैयार नहीं थे जिसके बाद थक हार कर डॉक्टरों को मृतक के तीमारदारों की बेतुकी मांग पूरी करनी पड़ेगी और मुर्दे का ईसीजी करना पड़ा।  हालांकि डॉक्टरों का ही अनुभव काम आया और मुर्दा मुर्दा ही रहा।

(रिपोर्ट-सुनील अर्कवंशी,हरदोई)

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