प्रतापगढ़ — जिले के प्राथमिक विद्यालय आज बच्चो का जीवन खतरे में पड़ गया और अफरातफरी मच गई। कारण था स्कूल के मिडडेमील में बनी खिचड़ी और दूध पीना। विद्यालय में डेढ़ सौ बच्चे इनरोल बताये जा रहे है। जिसमे से आधे बच्चे जहरीले एमडीएम की चपेट में आ गए।
लंच में बच्चो ने जैसे ही खिचड़ी और दूध खाया अचानक से बच्चो को उलटी और दस्त शुरू हो गई। आनन-फानन में बच्चो को स्थानीय सीएचसी गौरा में भर्ती कराया गया। ज्यादातर बड़े बच्चो को प्राथमिक उपचार के बाद छोड़ दिया गया। इस दौरान अस्पताल में करीब 70 बच्चे भर्ती कराया गया है जिसमे से 28 बच्चों को गम्भीर हालत में जिला अस्पताल रेफर किया गया। लगातार एम्बुलेंस मरीजो को लेकर पहुचने लगी तो जिला अस्पताल में भी अफरा-तफरी मच गई। बेड की कमी के चलते एक बेड पर तीन बच्चे लिटाये गए तो वही डॉक्टर और नर्स की भी कमी देखी गई।
ग्लूकोज की बोतलें भी बाद में लाई गई।वहीं पांच बच्चों की दयनीय स्थिति के चलते इलाहाबाद रेफर कर दिया गया। इस दौरान प्रशानिक अधिकारियो का जमावड़ा रहा, तो सीएमएस भी नजर नही आए। घण्टो बाद डीएम और सीडीओ भी अस्पताल पहुच गए और सीएमओ से नर्स की व्यवस्था करने का फोन पर आदेश दिया। ये घटना जहा सूबे में एमडीएम की हकीकत की पोल खोलती है।
नियमतः मिड-डेमील बनने के बाद पहले हेडमास्टर और मास्टर को खाना होता है और बाद में बच्चों को परोशा जाता है। लेकिन क्या अध्यापक इसे चेक करते है यह बड़ा सवाल उभरकर सामने आया है। आखिर इस स्थिति का जिम्मेदार कौन है क्या जिले के लाधिकारी एमडीएम कभी चेक नही करते जो ऐसी स्थिति बनी। इस मामले अधिकारियो को भी पीड़ित बच्चों की संख्या की सही जानकारी नही दी गई। मुख्य राजस्व अधिकारी और जिलाधिकारी के बयानों में काफी अंतर नजर आता है।
(रिपोेर्ट-मनोज त्रिपाठी,प्रतापगढ़)