औरैया — सरकार स्वास्थ्य विभाग के लिए कितनी भी सुविधायें उपलब्ध कराने का दम भरती हो लेकिन जमीनी स्तर पर यह सुविधाए कार्यगर साबित होती नजर नही आ रही है।जननी सुरक्षा के लिए सरकार ने अनेक योजनाएं चलाकर उनकी सुरक्षा का दावा करती है।
लेकिन आज एक महिला की मौत का कारण सरकारी अस्पताल में सुविधायें न मिलना होना बताया गया है। माँ जब बच्चे को जन्म देती है तो उसका वह दूसरा जन्म माना जाता है लेकिन आज एक माँ बच्चे के जन्म के बाद दूसरा जन्म नही ले पायी।और डॉक्टर की बड़ी लपरवाही से पांच बेटियां अनाथ हो गई।
दरअसल मामला औरैया के अछल्दा सरकारी अस्पताल का है जहाँ पर डिलीवरी करवाने के लिए आयी विमलेश कुमारी की प्रसव के दौरान मौत हो गयी।वहीं महिला के पति का आरोप है कि जब वह अपनी पत्नी को लेकर डिलीवरी कराने अस्पताल आये तो वहाँ पर मौजूद डॉक्टर सुबोध ने मामले को गंभीरता से न लेते हुए अपने अधीनस्थों के सहारे महिला को इलाज के लिए छोड़ दिया और अपने रूम पर आराम करने चले गए।महिला ने बच्ची को जन्म तो दिया लेकिन उसकी हालत बिगड़ती चली गयी।महिला के साथ आई आशाबहू ने जब डॉक्टर को हालत के बारे में बताया तो डॉ ने उसे सैफई रिफर कर दिया।जिससे सैफई ले जाते समय महिला ने दम तोड़ दिया।
बता दें कि अछल्दा थाना क्षेत्र के गड़वाना निवासी राजेश की पत्नी मिथलेश की चार बेटियां पहले से ही थी।यह पाँचवी बच्ची थी जिसको जन्म देने के बाद उसकी मौत हो गई।मृतक महिला के परिजनों ने डेटबॉडी को अस्पताल में रख कर डॉक्टर सुबोध के लापरवाही से मौत होना बताया।पति ने कहा अगर डॉक्टर सुबोध पहले ही रिफर कर देते तो शायद आज यह बच्चियां बिन माँ की नही हुईं होती।वही सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र अधीक्षक सिदार्थ वर्मा ने अपनी सफाई में बताया कि महिला की हालात सीरियस थी।जिसे सैफई मेडिकल रिफर किया गया था।जिसकी रास्ते मे मौत हो गई।अब वजह चाहे जो हो लेकिन इन बिन मां की पांच बच्चियों का क्या होगा।
(रिपोर्ट-वरुण गुप्ता,औरैया)