कभी भी गिर सकता है यह लकड़ी का पुल, ग्रामीण जान जोखिम में डाल करते है पार

हापुड़– केंद्र सरकार व प्रदेश सरकार प्रत्येक गांव को हाईवे से जोड़ने के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना देने की कवायद कर रही है लेकिन हापुड़ में अधिकारियों  की लापरवाही से ये योजना महज एक दिखावा साबित हो रही है। जी हां दिल्ली से महज 45 किमी दूर एनसीआर से सटे यूपी के इस जिले में आज भी एक ऐसा गांव है।

जहां ग्रामीण व स्कूली बच्चे अपनी जान को खतरे में डालकर लकड़ी के जर – जर हो चुके पुल को पार कर शहर आते जाते है। ग्रामीणों द्वारा अधिकारियों से लाख शिकायत के बाद भी इस लकड़ी के झूला पुला को ठीक नही कराया गया है। वाहनों से ग्रामीणों को शहर जाने के लिए 12 किमी का चक्कर काटना पड़ता है। 

थाना बाबूगढ़ के गांव गजालपुर के लोगों को पांच साल पूर्व जिला मुख्यालय हापुड़ आने के लिए खुद 70 हजार का चंदा एकत्र कर काली नदी पर लकड़ी का झूला पुल बनवाने के लिए मजबूर होना पड़ा था। आज लकड़ी का ये झूलापुल टूटने की कगार पर आ चुका है। जिसके चलते करीब अधदर्जन गांवों के लोगों को जल्दी जिला मुख्यालय जाने के लिए इस मौत के पुल से जाना पड़ रहा है। किसान और स्कूली छात्र भी अब टूटे पुल के सहारे पैदल ही काली नदी को पार करने के लिए मजबूर हो रहे हैं। इसके अलावा वाहन से शहर जाने के लिए विगास के रास्ते बाबूगढ़ कस्बे से होकर ग्रामीणों और स्कूली बच्चों को 12 किलोमीटर लम्बा सफर तय करना पड़ता है। 

ग्रामीणों ने बताया के इस काली नदी पर पुल बनाने के लिए वो सिंचाई विभाग, जिला पंचायत, ग्राम पंचायत तथा पीडब्ल्यूडी विभाग से फ़रयाद कई सालों से कर रहे है लेकिन कोई भी विभाग काली नदी पर पुल बनाने के लिए तैयार नहीं है। आखिर क्यों केन्द्र और प्रदेश सरकार के सपनों को धता बता रहे हैं अफसर व जनप्रतिनिधि एक तरफ केन्द्र और प्रदेश सरकार गांवों के विकास पर ध्यान दे रही हैं जबकि दूसरी तरफ अफसर ग्रामीणों का दर्द सुनने के लिए तैयार नहीं है। ग्रामीणों ने बताया के जब छेत्र के बीजेपी सांसद से पुल बनवाने की बात की तो उन्होंने भी गांव को बॉर्डर पर बता मामले से पल्ला झाड़ लिया । 

वहीं कुछ किसानों ने अपना दर्द बताया कि हमारे खेत काली नदी के दूसरी तरफ है किसानों को पुल टूटने के कारण खेत पर आने जाने के लिए 12 किलोमीटर फेर काटना पड़ता है। आज भी गांव गजालपुर के ग्रामीण कष्टकारी जीवन जीने के लिए मजबूर हैं। पुल का निर्माण न होने के कारण ग्रामीणों में अधिकारियों के प्रति रोष है। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि अगर पुल का निर्माण अधिकारियों ने नही कराया तो ये पूर्व की तरह खुद ही चंदा एकत्र कर पुल का निर्माण कराएंगे। वहीं जब इस मामले में हापुड़ की मुख्य विकास अधिकारी से बात की गई तो उन्होंने बताया कि आपके द्वारा ही मामला मेरे संज्ञान में आया है जिसको हम जल्दी ही दिखवाकर ग्रामीणों की समस्या का समाधान करेंगे।

आपको बता दें यह पुल भले ही जर्जर स्थिति में है जो सरकार द्वारा पुल बनाया गया है जिस पर होकर गुजरने से ग्रामीणों को 10 से 12 किलोमीटर का अधिक सफर करना पड़ता है लेकिन ग्रामीण 12 किलोमीटर का फेर बचाने के लिए इस अस्थाई पुल से निकलना ज्यादा बेहतर समझते हैं क्योंकि इससे इनके समय और पैसा दोनों बचता है। लेकिन जिस स्थिति में आज ये पुल है इस पर से गुजर ना मौत को दावत देना है तो इस मामले में प्रशासन को चाहिए या तो यह पुल बनाया जाए या इस फुल को ही खत्म कर दिया जाए जिससे यहां से गुजरने वाले बुजुर्ग व बच्चे किसी दिन किसी हादसे का शिकार ना हो सके।

(रिपोर्ट- विकास कुमार, हापुड़)

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