यहां आज भी जिंदा है रामलीला मंचन की 200 साल पुरानी प्रथा, दूर-दूर से लोग आते हैं देखने !

फर्रूखाबाद– दुनिया में किसने किया था सबसे पहली रामलीला का मंचन? इसका कोई प्रामाणिक दस्तावेज उपलब्ध नहीं है। रामलीला भारत में परम्परागत रूप से भगवान राम के चरित्र पर आधारित नाटक है। जिसका देश में अलग-अलग तरीकों और अलग-अलग भाषाओं में मंचन किया जाता है। 

फर्रुखाबाद में रामलीला के मंचन की प्रथा काफी पुरानी है।गली मोहल्लों में तखत डाल कर इसका मंचन होता था।लोकल लोग ही पात्र बनकर रात मे इसका मंचन करते थे। आज भी सरस्वती भवन की रामलीला देखने के लिए बहुत दूर से लोग आते है।रामलीला कमेटी मंचन पर विशेष ध्यान देती है। 

सरस्वती भवन की रामलीला की शुरुआत पंडित स्व कृपाशंकर,करूणा शंकर के पूर्वजो द्वारा की गई थी।पहले इस भवन में अंग्रेज भी अपने कार्यक्रमो का आयोजन किया करते थे।रात में कलाकारों द्वारा रामलीला का मंचन किया जाता था।जब राम बारात निकलती थी तो उसको देखने के लिए दूर दराज के लोग दो दिन पहले ही शहर में आकर रुक जाते थे।जिस समय बारात निकलती थी तो दुकानों की पटियो पर भी खड़े होने की जगह नही मिलती थी।

सरस्वती भवन की रामलीला कमेटी के पास रामलीला के लगभग 75 बीघा शहर में जमीन थी जिसको वर्तमान में दलित वर्ग के लोगो ने कब्जा कर लिया है जिसमे केवल वर्तमान में तालाब ही बचा है।कुछ जमीन तिकोना चौकी के पास है।लालगेट के पास ही और भी जमीन है जिसमे दुकाने वनी हुई है कुछ दुकानदार किराया दे रहे।वही कुछ दुकानदारो ने मुकदमा कर दिया है।वर्तमान में यदि रामलीला की जमीन की कीमत का आकलन किया जाए तो करोड़ो में है।

पूरे सत्र रामलीला के खर्चे का बजट 12 लाख रुपये है।जिसमे 2लाख 60 हजार रुपये व्यापारियों से चंदा करके जुटाया गया है।बाकी का बजट रामलीला के पदाधिकारी आपस मे मिलकर पूरा करते है साथ ही रामलीला की कुछ दुकानों का किराया जो साल भर में एकत्र होता है उसको इसी खर्चे में खर्च किया जाता है। इस इतिहासिक रामलीला में मंचन के लिए बाहर से कलाकार नही बुलाये जाते है बल्कि यहां के कलाकारों को अन्य जिलों में मंचन के लिए बुलाया जाता है।शहर के तमाम लोग जैसे बकील,शिक्षक,छात्र,रेलवे कर्मचारी,डॉक्टर विभिन्न किरदारों का मंचन करते है।दिन में लोग अपनी अपनी नौकरी व व्यापार करते है रात में अपने आप आकर रामलीला खेलते हैं।सभी कलाकारों को रामायण का जो किरदार निभाना है वह पूर्ण रूप से याद होता है।

कलाकारों का कहना है कि वर्तमान में टीवी और फिल्मो में जो कलाकार अपना अभिनय करते है यदि कोई शब्द गलत हो जाता है तो उसको दोबारा दोहराया जाता है।लेकिन इस मंच पर हर चौपाई से लेकर डायलाग को कलाकार बिल्कुल सही तरीके से बोलता है जिससे सामने बैठे दर्शक कोई सवाल न कर सके।यह रामलीला का मंचन तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस के आधार पर होती है।

(रिपोर्ट-दिलीप कटियार, फर्रूखाबाद)

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