झांसी — बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से पढ़ाई कर रहीं दो सगी बहनों ने पहले गवर्नमेंट टीचर बनने का सपना देखा था। लेकिन घर की हालत बिगड़ती और पुश्तैनी बिजनेस खत्म होता देख, उन्होंने इरादा बदलना पड़ा। दादी से मिट्टी के दीए बनाना सीख बिजनेस में हाथ बटाने लगी। 1 साल में ही कच्चा मकान 2 मंजिला पक्की इमारत में बदल गया। धीरे-धीरे पूरे झांसी में मिट्टी के बर्तनों और दीए की सप्लाई होने लगी। अब सालाना 15 लाख की कमाई हो रही है। दोनों बहनों का इसी काम में पीएचडी करने का सपना है।
जिले में विजयराम प्रजापति पत्नी गीता, मां प्रेमवती(71) और 4 बेटियों और 1 बेटे के साथ रहते हैं। इनका परिवार मिट्टी के बर्तन और दीपक बनाने का पुश्तैनी काम कर रहा है।चाइनीज आइटम मार्केट में आने की वजह से कुछ साल 100 रु. का सामान 40 रु. बिका। इससे बिजनेस ठप होने लगा। परिवार की आर्थिक हालत बिगड़ने लगी। इसी बीच बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी से एमए कर रही बड़ी बेटी अनीता(23) और बीए कर रही छोटी बेटी रागनी (21) ने पुश्तैनी काम में हाथ बाटने का मन बना लिया। बड़ी बेटी का कहना है, ”पुश्तैनी बिजनेस में घाटा होने लगा था। फिर मैंने दादी से मिट्टी के बर्तन और दीपक बनाने का काम सीखना शुरू कर दिया।
इसमें हुनर दिखाने के लिए दिवाली बेहतर अवसर है। धीरे-धीरे पूरे झांसी में मिट्टी के बर्तनों और दीए की सप्लाई हो रही है। 1 साल में अच्छा मुनाफा हुआ है। अब मैं इस काम में खुद और अपनी छोटी बहन को पीएचडी करा, चाइनीज मार्केट को टक्कर देना चाहती हूं।”दादी का कहना है-”जब से पोतियों ने हाथ बटाना शुरू किया है अब सालाना 15 लाख की कमाई हो रही है। अब मैं चाहती हूं कि दोनों पोतियां इस काम को अच्छी तरह से करें और बिजनेस को आगे तक लेकर जाएं।”