लखनऊ– मकोका की तर्ज़ पर बनाया गया ‘यूपीकोका’ बिल आज विधानसभा में पेश कर दिया गया। सीएम योगी ने आदित्यनाथ ने विधानसभा में दोपहर 1बजे ‘यूपीकोका’ कानून का ड्राफ्ट पेश किया। सदन में चर्चा के बाद इसे पास कर दिया गया। इसके बाद सरकार इसे विधान परिषद में चर्चा के लिए पेश करेगी वहां से पास होने के बाद उसे राज्यपाल के यहां भेजा जाएगा।
पिछले दिनों इस कानून को कैबिनेट की बैठक में मंजूरी मिली थी। वहीँ दूसरी तरफ इस बिल पर हंगामा भी शुरू हो गया। सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती सहित विपक्षी दलों के नेताओं का कहना है कि राजनीतिक बदले की भावना से इस विधेयक का दुरूपयोग हो सकता है। उन्होंने आशंका जतायी कि इस विधेयक का दुरूपयोग अल्पसंख्यकों, गरीबों और समाज के दबे कुचले लोगों के खिलाफ हो सकता है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने कहा- “इस कानून का इस्तेमाल सिर्फ दलितों और अल्पसंख्यकों के खात्मे के लिए बनाया गया है। दलितों पर इसके तहत केस दर्ज कर जानबूझकर जेल भेजा जाएगा। उन्हें प्रताड़ित किया जाएगा। ये पूरी तरह से भाजपा की अल्पसंख्यक विरोधी नीति और मानसिकता को दिखाता है।”अखिलेश यादव ने कहा- “इस कानून से भाजपा अपना राज चाहती है, इसका डर दिखाकर वो विपक्ष को कमजोर करने का साजिश रच रही है। पहले से इतने कानून हैं उन्हें लागू नहीं करवा पा रही है। अपनी कमियों को छुपाने के लिए यूपीकोका लेकर आई है।”
बता दे इसके तहत संगठित अपराध जैसे अंडरवर्ल्ड से जुड़े अपराधी, जबरन वसूली, फिरौती के लिए अपहरण, हत्या या हत्या की कोशिश, धमकी, उगाही सहित ऐसा कोई भी गैरकानूनी काम जिससे बड़े पैमाने पर पैसे बनाए जाते हैं, मामले शामिल है। मकोका लगने के बाद आरोपियों को आसानी से जमानत नहीं मिलती है। मकोका के तहत पुलिस को चार्जशीट दाखिल करने के लिए 180 दिन का वक्त मिल जाता है, जबकि आईपीसी के प्रावधानों के तहत यह समय सीमा सिर्फ 60 से 90 दिन की है। मकोका के तहत आरोपी की पुलिस रिमांड 30 दिन तक हो सकती है, जबकि आईपीसी के तहत यह अधिकतम 15 दिन की होती है।