मिर्जापुर– मिर्ज़ापुर नगर के मध्य त्रिमोहानी मुहल्ले के पास स्थित सबसे सुंदर पक्का घाट की साफ -सफाई के लिए टीम पहुँच गयी है। यह टीम नगर मजिस्ट्रेट देवेंद्र प्रताप मिश्रा की अगुवाई में साफ-सफाई करवाएगी। इस सफाई अभियान के तहत घाटों पर अतिक्रमण कर दुकान चला रहे दुकानदारों को भी हटाया जा रहा है।
बता दे शहर के मध्य में त्रिमोहानी मुहल्ले के पास स्थित पक्काघाट नगर का सबसे प्रसिद्ध एवं दर्शनीय घाट है। इसकी विशेषता पत्थर पर कलात्मक कार्य है। काफी बड़ा हिस्सा खम्भों की सहायता से ढका हुआ है जिसके कारण ऊपर बड़ी छत है, जहाँ से गंगा दर्शन एवं ठंडी हवा का अपूर्व सुख प्राप्त होता है। नीचे का हिस्सा बारहदरी के नाम से प्रसिद्ध है इन खम्भों पर व उसकी दीवारों पर कलात्मक कार्य यूनानी एवं गौथिक शैली में हुआ है। यहाँ की बारहदरी छब्बीस खम्भों की सहायता से बना है । प्रत्येक खम्भो पर विभिन्न प्रकार के फूल, बार्डर, देवी देवता, बाद्ययंत्र बजाते हुये महिला एवं पुरुष बने है। कई जगह पर शेर का मुख भी बना हुआ है। एक जगह एक व्यक्ति को खिड़की से निकलते हुये दिखाया गया है। बारहदरी की छत पर चारों तरफ की रैलिंग के रुप में पत्थर की कठिनसाध्य एवं दुर्लभ जालियों में अलग अलग डिजाइन बनाई गई है अर्थात जितने प्रकार की जाली है उतनी ही डिजाइन। लगभग 70 सीढि़या उतरने के बाद माँ गंगा के जल तक पहुचा जा सकता है। बाढ़ के समय घाट को कोइ नुक्सान न पहुँचे असलिये पानी के बहाव के लिये दीवारों के बीच कई दरारें (छिद्र) बनाया गया है इस जगह पर खड़े होने पर ठंडी हवा का भरपूर आनन्द लिया जा सकता है।
इस घाट के निर्माण के सम्बन्ध में किंददंती है कि श्रीमान् वेणी माधव दास उर्फ नबालक साव के पिता श्री भगवानदास ऊमर वैश्य की धर्म पत्नी नित्य गंगा स्नान करने जाया करती थी उन दिनों कच्चे घाट हुआं करते थे। भीड़ के समय स्नान करने में बड़ी असुविधा हुआ करती थी । एक दिन गंगा स्नान करते समय किसी महिला द्वारा व्यंग करने पर यह बहुत मर्माहत हुई फलस्वरुप इनके हठ के कारण भगवान दास जी ने इस घाट का बहुत ही सुन्दर ढंग से निर्माण कराया जो कि आज अपने आप में अद्वितिय है। लेकिन यहां अतिक्रमण के चलते घाट के रख- रखाव में लगातार कमी आती जा रही थी।
रिपोर्ट- राजन गुप्ता, मिर्जापुर