क्या वर्तमान हथियारों की होड़ ले जाएगी दुनिया को तीसरे विश्वयुद्ध की ओर?

( श्वेता सिंह ) 

द्वितीय विश्व युद्ध की पृष्ठभूमि कौंन नहीं जानता और उसका क्या परिणाम आया था ; उससे भी हर कोई वाकिफ है। वर्तमान समय में अधिकतर देश जिस तरह से हथियार इकठ्ठा करने में लगे हैं ; उससे तो यही अंदेशा लग रहा है कि शायद जल्द ही तृतीय विश्व युद्ध शुरू हो जायेगा और इसमें जो क्षति का स्वरूप सामने दिख रहा है वो परमाणविक और विनाशकारी होगा।

 तीसरे विश्वयुद्ध की पृष्ठभूमि को समझने से पहले ये जानना आवश्यक है कि आखिर दूसरा विश्वयुद्ध शुरू कैसे हुआ था। पहले विश्वयुद्ध में हार की मार झेल रहा जर्मनी संभलने की कोशिश के साथ साथ अपनी फौजी ताकत भी बढ़ा रहा था। तभी हिटलर का उदय हुआ , जिसने लोगों की भावनाओं का लाभ उठाते हुए साम्राज्यवादी नीतियों पर अमल करना शुरू कर दिया। जर्मनी ने 1938 में चेकोस्लाविया पर हमला कर दिया। उधर 1997 में जापान ने चीन पर हमला कर दिया। 1999 में जर्मनी ने पोलैंड पर और ब्रिटेन व फ़्रांस ने जर्मनी पर हमला कर दिया।  इसी बीच जापान ने अमेरिका पर धावा बोलकर उसे इस लड़ाई में शामिल करने के लिए मजबूर कर दिया और अमेरिका ने नागाशाकी और हिरोशिमा को तहस – नहस कर दिया। इन सबका असर दुनिया के शक्ति संतुलन पर पड़ा और ब्रिटेन की जगह अमेरिका दुनिया का नया सुपरपावर बन गया ।

 जब से उत्तर कोरिया ने हाईड्रोजन बम बनाने का दावा किया था तब से पूरी दुनिया में हलचल मच गई है। अंतर्राष्ट्रीय मंच पर इस घटना को दीर्घकालिक दुष्परिणाम के तौर पर देखा जा रहा है। आखिर ऐसा क्यों लग रहा है कि तीसरा विश्व युद्ध हो सकता है? अधिकतर देश आज जिस तरह से परमाणुओं व हाइड्रोजन बमों से लैस हो चुके हैं उससे शायद ही धरती पर सालों तक जीवन पनप सके। नार्थ कोरिया के संस्थापक किम – इल – सुंग की 105वीं वर्षगांठ पर निकाली गयी परेड में प्रदर्शित न्यूक्लिअर मिसाइल देशों की बढ़ती शक्तिओं का प्रदर्शन मात्र नहीं था ; बल्कि ये सब संभावित तृतीय विश्व युद्ध की ओर एक इशारा था।

सबसे पहले आपको बता दें न्यूक्लिअर  हथियारों के बारे में ; जिनसे दुनिया में तबाही मचाई जा सकती है। परमाणु मिसाइलें 2  तरह की होती हैं –

Submarine Launched Balllistic Missile(SLBM)- ये वो मिसाइल होती हैं जिन्हें पानी के नीचे सबमरीन से भी लांच किया जा सकता है।

Intercontinantal Ballistic Missile(ICBM)- इन्हें जमीन से दूर तक के निशान के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।

यदि तीसरा विश्व युद्ध होता है तो इस बार की जंग में ये तस्वीर साफ़ होती दिख रही है कि अमेरिका – रूस इस बार मैदान में आमने- सामने होंगे। दोनों ही देश न्यूक्लिअर बम से लैस दुनिया की सबसे बड़ी ताकतें हैं ; लिहाजा युद्ध की स्थिति में आंकड़े कहते हैं कि न्यूक्लिअर हमला ही निर्णायक स्थिति देगा। रूस के पास इस समय 1,643 न्यूक्लिअर मिसाइलें तैयार हैं और अमेरिका के पास इस समय 1,642 मिसाइलें हैं। रूस के पास एक सबसे खतरनाक मिसाइल है, जिसका नाम ” सैटन ” है और ये मिसाइल पूरे न्यूयार्क राज्य को ही पलक झपकते तबाह करने की क्षमता रखती है। इसकी तबाही हिरोशिमा पर गिरे बम से लगभग डेढ़ हज़ार गुना ज्यादा है। रूस की जनसंख्या अमेरिका से कम है लेकिन पूरे देश में फैली है तथा अमेरिका की 80% जनसंख्या देश के पूर्वी व पश्चिमी क्षेत्रों में स्थित है ; लिहाजा सटीक निशाने वाली कुछ मिसाइलें ही अमेरिका में जीवन का अंत कर देंगी।

तीसरे विश्व युद्ध को पुख्ता करने में एक कड़ी और जुड़ जाती है ; वह है ISIS. जिस तादाद में ISIS  सीरिया और ईराक में जिहादी भेज रहा है , शक है कि यह रणनीति दशकों तक इस लड़ाई को आगे खींच सकती है। रूस और फ़्रांस ईसिस के शिकार हो चुके हैं। कुछ पश्चिमी देश ISIS को जड़ से खत्म करना चाह रहे हैं लेकिन नाटो के अंदर लड़ाई , पेरिस की हताशा, रूस पर तुर्की का हमला ;ये सब ISIS की लड़ाई को अलग – अलग दिशा में खींच रहे हैं। सोंचने वाली बात है कि क्या ये सब तीसरे विश्व युद्ध के हालात पैदा कर रहा है। पेरिस के हमले के बाद पोप फ्रांसिस ने कहा था कि ये वर्ल्ड वॉर थ्री की शुरूआत जैसी स्थिति बन रही है। इसमें कई खेमे एक दूसरे के खिलाफ खड़े हैं। शिया, सुन्नी के खिलाफ, अरब ईरान के खिलाफ, ईरान के सहयोग के साथ लेबनन का हिज्बुल्लाह खाड़ी के अरब मुल्कों से लड़ रहा है। ISIS की मौजूदगी पूरी दुनिया में आतंक का साया बनकर मंडरा रही है।  इस जाल में सब ऐसे फंसे हैं कि एक – दुसरे को नुकसान ही पहुंचाएंगे।

पिछले कुछ सालों से अमेरिका की कमान में नाटो देश लगातार रूस को घेरते जा रहे हैं। बौखलाया हुआ रूस कुछ भी कर सकता है।  अगर नाटो और रूस के बीच जंग होती है तो परमाणु बम के इस्तेमाल की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता।  नाटो रूस की यह तनातनी निश्चित ही परमाणु युद्ध की ओर जाएगी।

धीरे – धीरे दुनिया अब तक के सबसे खतरनाक युद्ध को देखने के मुहाने पर खड़ी हो रही है।  अगर तीसरा विश्वयुद्ध हुआ तो शायद ही धरती पर जीवन बचेगा।

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