पाथवे के नाम पर “असली काशी” को जमीदोज करने की साजिश ! 

वाराणसी — एक ओर जहां मीडिया में सरकारी सूत्रों के आधार पर प्रकाशित समाचारों ने काशी विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र के अंतर्गत चिन्हित भवन स्वामियो को एक बार फिर से भयाक्रांत और खौफजदा कर दिया है. उनको समझ आने लगी है कि

मंदिर न्यास उन्हें यह झुनझुना थमा कर गुमराह ही करता रहा कि कोई पाथवे नहीं बनना और न ही गंगा को विश्वनाथ का दर्शन कराने की कोई योजना है. जबकि यह लगभग तय हो चुका है कि गलियों में बसी दुनिया की प्राचीनतम नगरी काशी का वजूद मिटने जा रहा है. 

भोलेनाथ से यह गुहार है कि आप तीसरा नेत्र खोले प्रभु और जो भी ऐसी शैतानी योजना को अमलीजामा पहनाने की कोशिश करे उसे आप अवश्य दंडित करें!! 

बता दें कि 2007 में इसी न्यास ने आततायी मुगलो को भी मात करते हुए दो प्राचीन धरोहरो ताड़केश्वर मंदिर और रानी भवानी को न सिर्फ ढहाया बल्कि उनमे विराजमान 108  शिव लिंग उखाड़ बोरे मे भर कर फेंक दिए गए थे जिन्हें हल्ला मचने पर नाले से बरामद किया गया था. जबकि उच्च न्यायालय का स्पष्ट आदेश है कि विश्वनाथ मंदिर के आसपास की धरोहरो के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ न की जाय. उसने जिलाधिकारी की अध्यक्षता मे एक धरोहर बचाओ समिति भी गठित की थी. यह भी आदेश था कि ऐतिहासिक गलियों, मंदिरों और स्मारको आदि के साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ न की जाय. मगर प्रशासन लगातार कोर्ट के आदेश की खुली अवमानना कर रहा है. !! 

मंदिर न्यास बाढ़ के अंतिम बिंदु से 200 मीटर के भीतर पड़ने वाले भवनों को लगातार खरीद रहा है. सीईओ कहते है कि क्षेत्र के सुंदरीकरण हेतु हम ऐसा कर रहे है. जब इस एरिया मे किसी भी तरह का निर्माण-पुनर्निर्माण प्रतिबंधित है तब मंदिर प्रशासन  कैसे क्षेत्र को संवारेगा ? मतलब साफ है कि खरीदे भवनों को जमीदोज कर उसे समतल मैदान मे बदल दिया जाएगा. !! 

यह आशंका निर्मूल नहीं है. लोगों ने अपने मकान के आगे बोर्ड लगा दिए है कि भवन बिकाऊ नही है. फिर भी वर्दी वाले बाहुबली के साथ मंदिर प्रशासन के लोग भवन मालिकों का भयादोहन करने में कोई कोताही नही बरत रहे हैं.

रोना आता है उन सलाहकारों पर जिन्होंने निजी स्वार्थ वश पी एम के सामने क्षेत्र का एकदम गलत और यह नकारात्मक खाका पेश किया कि वहां लोगों ने मंदिरों में घर बना लिए है, लोग मकानों पर अवैध कब्जा कर सैकड़ों वर्षों से रह रहे है, भवन जीर्णशीर्ण हो चुके है!!

विडम्बना तो यह कि प्रधानमंत्री जी, जो यहाँ के सांसद जरूर है मगर जिन्होंने आज तक गलियों मे स्थित असली काशी का दौरा करना तो दूर इधर एक बार झाकने की भी कोशिश नही की. बस गंगा, रोड शो, लोकार्पण और शिलान्यास तक ही उनकी काशी यात्रा सीमित रही!!

भवन खरीदने से कौन रोक रहा है. जरूर खरीदिए मगर उनको ध्वस्त न कर संरक्षित कीजिए. दुनिया के तमाम उन देशों की तरह जिन्होंने हेरिटेज क्षेत्र को गोद ले रखा है. आप भी उसकी प्राचीन मौलिक वास्तु कला को बरकरार रखते हुए उसे अंदर से अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस कीजिए और उन्हें रेस्ट हाउस अतिथि गृह में बदल दीजिए. जो भी विकास चाहते है वह कीजिए मगर मौलिकता के साथ छेड़छाड़ न हो, इसका ध्यान रखिए !!

माननीय  प्रधानमंत्री जी से इस नाचीज ने बार बार प्रार्थना की थी कि एक बार इस क्षेत्र का दौरा तो कीजिए आपकी सोच बदल जाएगी. आपको तब अहसास होगा कि यह सोमनाथ नही, यह हरिद्वार नही और यह तिरुपति भी नहीं, यह काशी है जहाँ समस्त देवी देवता गलियों में ही विराजते हैं. देवता विहीन मत कीजिए नगर को. !! अभी तक योजना को हालाँकि सार्वजनिक तो नहीं किया गया है मगर बताया जा रहा है कि यह मोदी जी का ड्रीम प्रोजेक्ट है. यदि यह जैसी आशंका है उसी तरह का है तो विश्वास कीजिए कि यह कार्य योजना दुहस्वप्न सिद्ध होगी, इसमें संदेह नहीं. 

(रिपोर्ट-बृजेद्र बी यादव,वाराणसी)

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