पिता के लिए श्रवण बनी बेटी को 1 लाख देगे अखिलेश यादव
पिता को साइकिल पर बिठा कर तय किया था 1200 KM का सफर
लखनऊः कोरोना वायरस के कारण देश में लागू लॉकडाउन के बाद प्रवासी मजदूरों पर मुसिबतों का पहाड़ टूट पड़ा है। लॉकडाउन के बाद प्रवासी मजदूरों और कामगारों का अपने-अपने घरों को लौटने का सिलसिला जारी है। ऐसे में जहां-तहां फंसे मजदूरों के हौसले की कई कहानियां सामने आ रही हैं। इस बीच प्रवासी कामगारों के हौसले की एक कहानी बिहार से सामने आई जब, हरियाणा के गुरुग्राम से अपने पिता को साइकिल पर बैठा 15 साल की एक लड़की बिहार के दरभंगा पहुंच गई। जिसकी अखिलेश यादव मदद करेगे।
अखिलेश दो परिवारों को एक-एक लाख रुपये देंगे…
सरकार से हारकर एक 15 वर्षीय लड़की निकल पड़ी है अपने घायल पिता को लेकर सैकड़ों मील के सफ़र पर… दिल्ली से दरभंगा. आज देश की हर नारी और हम सब उसके साथ हैं.
हम उसके साहस का अभिनंदन करते हुए उस तक 1 लाख रु. की मदद पहुँचाएंगे. pic.twitter.com/amO502S6dj
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 21, 2020
वहीं लड़की की इस हिम्मत की पूरी देश में सराहना हो रही है। कई संगठनों ने उन्हें सम्मानित करने का ऐलान किया है। अब समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का नाम भी जुड़ गया है। अखिलेश यादव ने इस बेटी को एक लाख रुपए की मदद का ऐलान किया है।
इसके अलावा अखिलेश ने एक मासूम बच्चो के परिवार को भी एक लाख रुपये की मदद का ऐलान किया है।कुछ दिनों पहले एक वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो में एक बच्चा पैदल चलने से थककर सूटकेस पर सोया हुआ है उसकी मां उस सूटकेस को सड़क पर घसीटते हुए ले जा रही है।
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साइकिल से तय किया 1200 किमी का सफर…
बता दें कि15 साल की ज्योति ने 1200 किलोमीटर से ज्यादा की दूरी सात दिन में तय किया। वो एक दिन में 100 से 150 किलोमीटर अपने पिता को पीछे बिठा कर साइकिल चलाती थी। जब कहीं ज्यादा थकान होती तो सड़क किनारे बैठ कर ही थोड़ा आराम कर लेती थी।
गौरतलब है कि दरभंगा जिला के सिंहवाड़ा प्रखण्ड के सिरहुल्ली गांव निवासी, मोहन पासवान गुरुग्राम में रहकर टेम्पो चलाकर अपने परिवार का भरण-पोषण किया करते थे, पर इसी बीच वे दुर्घटना के शिकार हो गए। दुर्घटना के बाद अपने पिता की देखभाल के लिए 15 वर्षीय ज्योति कुमारी वहां चली गई थी पर, इसी बीच कोरोना वायरस की वजह से देशव्यापी बंदी हो गई।
आर्थिक तंगी के मद्देनजर ज्योति के साइकिल से अपने पिता को सुरक्षित घर तक पहुंचाने की ठानी। बेटी की जिद पर उसके पिता ने कुछ रुपये देकर तो कुछ उधार करके एक पुरानी साइकिल खरीदी और उसी से रवाना हो गए।
वहीं 7 दिनों की लंबी और परेशानी भरी यात्रा के बाद अपने गांव सिरहुल्ली पहुंची है। गांव से कुछ दूरी पर अपने पिता के साथ एक क्वारेंटाइन सेंटर पर रह रही ज्योति, अब अपने पिता के हरियाणा वापस नहीं जाने को कृत संकल्पित है।
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